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लापता विमान में सवार रहे लोगों के जीवित बचने की उम्मीद कम हुई

चेन्नई /नई दिल्ली : चार दिन पहले बंगाल की खाडी में लापता हुए भारतीय वायुसेना के विमान एएन-32 में सवार रहे 29 कर्मियों के जीवित होने की उम्मीद आज कम हो गई. पिछले चार दिन से बडे पैमाने पर चलाए जा रहे खोज एवं बचाव अभियान के बाद भी मलबे या जीवित बचे लोगों का […]

चेन्नई /नई दिल्ली : चार दिन पहले बंगाल की खाडी में लापता हुए भारतीय वायुसेना के विमान एएन-32 में सवार रहे 29 कर्मियों के जीवित होने की उम्मीद आज कम हो गई. पिछले चार दिन से बडे पैमाने पर चलाए जा रहे खोज एवं बचाव अभियान के बाद भी मलबे या जीवित बचे लोगों का कुछ पता नहीं चल सका है. ‘‘चिंता’ का विषय यह है कि विमान में लगा ‘एमर्जेंसी लोकेटेर ट्रांसमीय्टर’ (ईएलटी) काम नहीं कर रहा था, जिससे खोज अभियान दुरूह हो गया है.

भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने नई दिल्ली में कहा, ‘‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम लापता विमान और उसमें सवार रहे लोगों को खोज नहीं पाए हैं. यह हम सभी के लिए बहुत मुश्किल समय है और हम परेशान-बेचैन परिजनों की चिंताएं समझते हैं.’ यह विमान 22 जुलाई को तांबरम हवाई अड्डे से उडान भरने के 16 मिनट बाद ही रेडार के दायरे से बाहर हो गया था. यह विमान पोर्ट ब्लेयर के लिए रवाना हुआ था. अभी वायुसेना में 100 एएन-32 विमानों के मौजूद होने और उनके प्रभावी तरीके से काम करने की अवधि खत्म हो जाने को लेकर कुछ तबकों की ओर से आलोचना की जा रही है. इन आलोचनाओं के बीच राहा ने कहा कि इस विमान के परिचालन के पिछले तीन दशकों में वायुसेना ने इस विमान की क्षमताओं का बेहतरीन इस्तेमाल किया है.

लापता एएन-32 परिवहन विमान 1984-1991 के बीच भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था. पिछले साल बडे पैमाने पर इसकी मरम्मत की गई थी. राहा ने कहा, ‘‘इसके बेहतरीन परिचालन के कारण एएन-32 दौलत बेग ओल्डी में उतरता रहा है, जो दुनिया में विमान के उतरने की सबसे उंची जगह (लैंडिंग ग्राउंड) है. इसमें कहने की जरुरत नहीं है कि काफी योग्य चालक दल को ही इन विमानों की उडान के लिए चुना जाता है.’ वायुसेना अध्यक्ष ने कहा कि ऐसी घटनाएं हमें उन जोखिमों की याद दिलाती हैं, जिनका सामना हमारे बहादुर जवान अपने रोजमर्रा के मिशनों में करते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना क्यों हुई, इसका पता लगाने के लिए एक विस्तृत जांच होगी. भारतीय वायुसेना अपने जवानों को बेहतरीन उपकरण एवं प्रशिक्षण मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि वे अपने मिशन पेशेवर तरीके से पूरे कर सकें.’
भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने नई दिल्ली में कहा कि नौसेना के 13 पोत और तटरक्षक बल के चार पोत और 18 विमान खोज एवं बचाव अभियान में लगे हुए हैं. इन विमानों ने 250 घंटों से ज्यादा की उडाने भर ली हैं. तटरक्षक बल के कमांडर (पूर्व) महानिरीक्षक राजन बरगोत्रा ने चेन्नई में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘फिलहाल इस विमान के मलबे या जीवित बचे लोगों का कोई पता नहीं चला है.’ उन्होंने कहा कि पिछले चार दिनों के दौरान खोज अभियान का दायरा बढाया गया है और ‘‘हम सभी दिशाओं में देख रहे हैं. हम कुछ वस्तुएं उठा रहे हैं, लेकिन वे इस विमान से जुडी नहीं हैं.
वर्तमान में तलाश जारी है.’ इस खोज अभियान में आ रही चुनौतियों के बारे में उन्होंने कहा कि मौसम खराब था, लेकिन कल से इसमें सुधार आया है. विमान के ईएलटी से बत्तियों की गैर-मौजूदगी पर उन्होंने कहा कि इससे मिले संकेतों से बचाव का काम काफी आसान हो गया होता. बरगोत्रा ने कहा कि समुद्री सतह पर खोज के बाद अगला कदम समुद्र के भीतर खोज करने का होगा. यह बहुत आसान नहीं है.
उन्होंने कहा कि नेशनल इंस्टीट्यूट आफ ओशन टेक्नोलॉजी (एनआईओटी) और इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशन सर्विसेज (एनसीओआईएस) सहित कई एजेंसियां इस तलाशी अभियान में समन्वय स्थापित कर रही हैं और जरुरत पडने पर एनआईओटी के पोत ‘सागर निधि’ का इस्तेमाल तलाशी अभियान में किया जाएगा.एक सवाल के जवाब में बरगोत्रा ने कहा कि इस अभियान के लिए उनके पास पर्याप्त संसाधन हैं और तलाश क्षेत्र का दायरा बढाया गया है जो शुरुआत में 14,400 वर्ग नॉटिकल मील था.

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