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दिल्ली से ज्यादा प्रदूषित शहर है पटना

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के माथे से वायु प्रदूषण के मामले में दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर होने का धब्बा हट गया है. 2014 में इस पर यह धब्बा लगा था जो 2016 में हटा. हालांकि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) की गुरुवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, चार अन्य भारतीय शहर दुनिया के […]

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के माथे से वायु प्रदूषण के मामले में दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर होने का धब्बा हट गया है. 2014 में इस पर यह धब्बा लगा था जो 2016 में हटा. हालांकि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) की गुरुवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, चार अन्य भारतीय शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित सात शहरों में शामिल हैं.इस खबर के बाद पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली देश की कुछ गैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीओ) ने कहा कि वायु प्रदूषण अब एक ‘‘राष्ट्रीय संकट’ है और इस पर लगाम लगाने के लिए सख्त एवं आक्रामक कार्रवाई की जरुरत है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से जारी एक नई रिपोर्ट, जिसमें वायु प्रदूषण की बदतर स्थिति के मामले में ग्वालियर को दूसरे, इलाहाबाद को तीसरे, पटना को छठे और रायपुर को सातवें पायदान पर रखा गया है, पर सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरॉमेंट (सीएसई) ने कहा कि सभी शहरों में प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए आक्रामक और सख्त कार्रवाई की जरुरत है.

अनुमिता चौधरी ने कहा…
सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता चौधरी ने कहा कि यह संकेत देता है कि वायु प्रदूषण अब एक राष्ट्रीय संकट बन चुका है और इस पर भारत के सभी शहरों में सख्त एवं आक्रामक देशव्यापी कार्रवाई की जरुरत है.’ चौधरी ने कहा कि भारत को तत्काल राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता योजना बनाने की जरुरत है जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि सभी शहरों में ऐसी स्वच्छ वायु कार्य योजना हो जिसे समयबद्ध तरीके से लागू कर स्वच्छ हवा के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके.’ साल 2014 में सबसे प्रदूषित बताए जाने के बाद इस बार नई दिल्ली के 11वें पायदान पर होने के मुद्दे पर सीएसई ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में वायु की गुणवत्ता में ‘‘सुधार’ हुआ है, लेकिन अभी ‘‘काफी लंबा सफर तय करना है.’ ग्रीनपीस इंडिया ने कहा कि प्रदूषण राजनीतिक सीमाएं नहीं मानता. उसने कहा कि वह बार-बार एक ‘‘अति-आवश्यक एवं विस्तृत’ राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्य योजना बनाने की अपील कर चुका है.

सुनील दहिया ने कहा…
ग्रीनपीस इंडिया के कैंपेनर सुनील दहिया ने कहा कि प्रदूषण राजनीतिक सीमाएं नहीं मानता. प्रदूषित हवाएं लंबी दूरी तय करती हैं. वायु प्रदूषण एक राष्ट्रीय संकट है और इस पर लगाम लगाने के लिए एक ठोस राष्ट्रीय कार्य योजना की जरुरत है. इस बीच, विश्व के शहरों में रहने वाली 80 फीसदी से ज्यादा आबादी के खराब वायु गुणवत्ता वाली सांस लेने संबंधी रिपोर्ट जारी करने के बाद डब्ल्यूएचओ ने दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों और भारत से कहा है कि वे वायु की गुणवत्ता में सुधार को अपनी ‘‘शीर्ष’ प्राथमिकता बनाएं, क्योंकि बढता वायु प्रदूषण अरबों लोगों की सेहत जोखिम में डाल रहा है.

पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा…
डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि वायु की गुणवत्ता में सुधार डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों में शीर्ष स्वास्थ्य एवं विकास प्राथमिकता होनी चाहिए क्योंकि प्रदूषण का बढता स्तर अरबों लोगों की सेहत जोखिम में डाल रहा है. संगठन ने आज एक रिपोर्ट जारी कर कहा कि दुनिया के शहरों में रह रही 80 फीसदी से ज्यादा आबादी खराब वायु गुणवत्ता वाली सांसें ले रही है जिससे उनमें फेफडे के कैंसर और अन्य जानलेवा बीमारियों का जोखिम बढता जा रहा है.

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