नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने चेक बाउंस के एक मामले में बचाव पक्ष के गवाह के रुप में वायुसेना और सेना के प्रमुखों को सम्मन जारी करने पर एक मजिस्ट्रेट की खिंचाई की. अदालत ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने बस तकनीकी आधार पर ऐसा किया और उन्होंने दिमाग नहीं लगाया.
जिला एवं सत्र न्यायाधीश आर के गौबा ने वायुसेना के एक निजी चेक बाउंस मामले में सेना के दो अंगों (थल सेना एवं वायुसेना) के प्रमुखों को तलब किये जाने पर सवाल उठाया.
उन्होंने कहा कि बचाव पक्ष के जिस गवाह की पेशी जरुरी बतायी गयी है वह सेना मुख्यालय का महज एक अधिकारी हो सकता था , लेकिन यह बात समझ से परे है कि वायुसेना प्रमुख की पेशी के लिए सम्मन क्यों जारी किया गया.
अदालत ने कहा कि इसका भी कोई तुक नहीं है कि क्यों सेना प्रमुख को सम्मन जारी किया गया जबकि सेना मुख्यालय के पूर्व वायुसेना अधिकारी दिलावर सिंह के इस मामले से उनका कोई लेना देना नहीं है. वैसे भी दिलावर सिंह वायुसेना के कर्मचारी रहे थे.
अदालत चेक बाउंस मामले में मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ समीक्षा याचिका की सुनवाई कर रही थी. दिलावर सिंह ने वीरपाल सिंह नाम के एक व्यक्ति के खिलाफ 2003 में चेक बाउंस का मामला दर्ज किया गया था.