नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने बजट में इस बार मनरेगा पर जोर दिया है. आज वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट पेश करते हुए इस योजना के लिए आवंटन 3,800 करोड रुपये बढाने का प्रस्ताव किया है. कभी मनरेगा के प्रभाव पर सवाल उठाने वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 में इस योजना पर काफी ध्यान दिया है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज संसद में पेश केंद्रीय बजट में ग्रामीण विकास की रुपरेखा पेश की. जेटली ने लोकसभा में अपने बजट भाषण में कहा, ‘‘2016-17 में मनरेगा के लिए 38,500 करोड रुपये का आवंटन किया गया है. यदि पूरी राशि खर्च हो जाती है, तो यह मनरेगा में अब तक सबसे बडा बजट खर्च होगा.’ सरकार ने इससे पिछले वित्त वर्ष के बजट में मनरेगा के लिए 34,699 करोड रुपये का बजटीय प्रावधान किया था. इसके अलावा सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा इस कोष के वास्तविक इस्तेमाल के आधार पर 5,000 करोड रुपये अतिरिक्त उपलब्ध कराने का वादा किया था.
सरकार को अपने वादे की याद दिलाते हुए ग्रामीण विकास मंत्री बीरेंद्र सिंह ने जेटली को पिछले साल 30 दिसंबर को पत्र लिखकर यदि योजना में वादे के अनुरुप 5,000 करोड रुपये अतिरिक्त उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं तो इस वित्त वर्ष में इसमें 5,000 करोड रुपये की कमी होगी. मनरेगा के लिए 2014-15 में आरंभिक बजटीय आवंटन 34,000 करोड रुपये था. संशोधित बजट में इसे घटाकर 31,000 करोड रुपये कर दिया गया. इस साल दो फरवरी को मनरेगा कार्यक्रम के 10 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में राजग सरकार ने कहा था कि उसने संप्रग की इस योजना को रिकार्ड धन उपलब्ध करा कर इसको नया रुप दिया है.
उस समय कांग्रेस के उपाध्यक्ष्य राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यंग्य किया था कि अब उनकी सरकार की ओर से मनरेगा की तारीफ करना उसकी राजनीतिक समझ का एक उदाहरण है क्यों कि उन्होंने इस योजना को कांग्रेस की विफलता का एक जीता जागता उदाहरण बताया था.