नयी दिल्ली: माकपा ने आज केंद्र पर आरोप लगाया कि वह लोकपाल विधेयक को पारित कराने के लिए ‘‘गंभीर नहीं’’ है. हालांकि सरकार का कहना है कि उसने इस विधेयक को कार्यसूची में विधायी कामकाज में दर्ज किया है जो यह स्पष्ट संकेत है कि वह इसे पारित कराना चाहती है.
माकपा नेता बासुदेव आचार्य ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘ सरकार गंभीर नहीं है. सरकार संसद के दोनों सदनों द्वारा लोकपाल विधेयक को पारित नहीं कराना चाहती और इसीलिए इसमें देरी की जा रही है. हम लगातार दबाव बना रहे हैं और सरकार से इस संबंध में कह रहे हैं.’’ आचार्य ने कहा कि राज्यसभा की प्रवर समिति ने छह महीने पहले अपनी रिपोर्ट दी थी और विधेयक को अब उच्च सदन में पारित किया जाना है.
उन्होंने कहा, ‘‘ हम चाहेंगे कि राज्यसभा द्वारा पारित किए जाने के तुरंत बाद विधेयक लोकसभा में आए , अन्यथा यह विधेयक निरस्त हो जाएगा पिछले सत्र में भी , हमने मांग की थी कि लोकपाल विधेयक को दोनों सदनों द्वारा पारित किया जाना चाहिए. हम विधेयक पारित किए जाने का दबाव बनाएंगे लेकिन लगता है कि सरकार इसे पारित करने के प्रति गंभीर नही है.’’ उधर, संसदीय मामलों के मंत्री कमलनाथ ने कहा कि सरकार ने राज्यसभा की कार्यसूची में विधेयक को सूचीबद्ध किया है और पहले ही इसे सदन के एजेंडे में रखा गया है क्योंकि सरकार इसे पारित कराना चाहती है. उन्होंने इसके साथ ही कहा कि विधेयक को सदन के चलने की सूरत में ही पारित किया जा सकता है और ‘‘केवल सरकार इसे नहीं कर सकती. पूरी संसद को इसे पारित करना है.