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जुवेनाइल जस्टिस बिल राज्यसभा में पास

नयी दिल्‍ली : राज्‍यसभा में आज किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) विधेयक 2015 ध्वनिमत से पारित हो गया. जघन्‍य अपराधों के लिए नाबालिगों की उम्र सीमा 18 से घटाकर 16 वर्ष कर दी गयी है. गौरतलब हो कि जुवेनाइल बिल लोकसभा में बहुत पहले पारित हो चुका था. राज्‍य सभा में बिल पारित […]

नयी दिल्‍ली : राज्‍यसभा में आज किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) विधेयक 2015 ध्वनिमत से पारित हो गया. जघन्‍य अपराधों के लिए नाबालिगों की उम्र सीमा 18 से घटाकर 16 वर्ष कर दी गयी है. गौरतलब हो कि जुवेनाइल बिल लोकसभा में बहुत पहले पारित हो चुका था. राज्‍य सभा में बिल पारित होने के बाद अब इसे राष्‍ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. ये बिल अगर कानून का रूप ले लेता है तो जघन्‍य अपराध के लिए 16 से 18 साल के उम्र के नाबालिग को व्‍यस्‍क माना जाएगा. जघन्‍य अपराध यानि जिसके लिए आईपीसी की धारा में सात साल से अधिक का सजा का प्रावधान है.

आज राज्‍य सभा में महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने सदन के सामने जुवेनाइल बिल को संशोधन के लिए रखा. हालांकि राज्‍य सभा में जिस समय इस बिल पर वोटिंग हो रही थी उसी समय सीपीएम के सांसदों ने वॉकआउट करते हुए सदन छोड़कर बाहर चले गये.

इसे लेकर सदन में आज विस्तार से चर्चा हुई.इस बिल पर सरकार को विपक्ष का साथ मिला. सदन के दर्शक दीर्घा में निर्भया के माता-पिता मौजूद थे.चर्चा के दौराननेताप्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि 16 दिसंबर 2012 को जो हुआ वह काफी शर्मनाक है. हम यह कहते हैं कि भारत आगे बढ़ रहा है लेकिन इस तरह की घटना के कारण हमें मुंह छुपाना पड़ता है.

उन्होंने कहा कि 1986 में राजीव गांधी की सरकार के दौरान जेजे बिल लाया गया था जिसमें नाबालिग की उम्र 16 करने को कहा था लेकिन 2000 में एनडीए की सरकार ने इसे 18 वर्ष करने का फैसला लिया. पिछले दिनों निर्भया केस के दोषी के छुटने के बाद यह बात चर्चा में आई और सरकार ने जल्दबाजी दिखाई.50 प्रतिशत से ज्यादा अपराध नाबालिग करते हैं या उनसे करवाया जाता है. आजाद ने कहा कि मैं निर्भया की मां को बधाई देता हूं जिसने यह लड़ाई लड़ी. वह देश की अन्य लड़कियों की सोच रही है.आजाद ने कहा कि अंधेरी गलियों में पुलिस पेट्रोलिंग होनी चाहिए. पेट्रोलिंग होने से अपराधियों में दहशत रहेगा. इन गलियों में प्रकाश की व्यवस्था भी करनी चाहिए.

राजस्थान से भाजपा सांसद नारायण लाल पंचारिया ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि ने किशोरावस्था में बालक को संभालना माता पिता का कर्तव्य है. उन्होंने कहा कि किशोरों में अपराध की प्रवृत्ति बढ़ी है. उन्होंने कहा कि बालकों से जुड़ी छोटी समस्याओं का ससमय निवारण होना चाहिए. सपा सांसद रवि प्रकाश वर्मा ने चर्चा में शामिल होते कहा कि मीडिया ऐसा माहौल बना रहा है कि बिल के पास होते ही, निर्भया के परिजनों को न्याय मिल जायेगा. उन्होंने कहा कि हमें उपेक्षित बच्चों के बारे में सोचना होगा और वे जिन कारणों से ऐसा करते हैं, उस पर सोचना होगा.

वहीं, नामित सांसद अनु आगा ने कहा कि जुवेनाइल बिल में उम्र कम नहीं की जाये और इसे सलेक्ट कमेटी को भेज दिया जाय.
वहीं, जदयू सांसद कहांकशा परवीन ने कहा कि हमें उसके जड़ में जाना होगा कि बच्चे क्यों अपराध कि ओर जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि बेरोजगारी है, भुखमरी है, गरीबी है. अपराध के पीछे किसका हाथ है, हमें जानना होगा.

बहस में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के नेता ड़रेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह बहुत ही भावुक मुद्दा है. इस मुद्दे पर सभी को चिंता होनी चाहिए. मैं एक 20 वर्षीय बेडी का पिता हूं और मुझे यह समझ नहीं आता कि इस मुद्दे पर किस तरह प्रतिक्रिया दी जाये. इस बिल को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह के मत हैं. कोई यह चाहता है कि नाबालिग की उम्र 16 होनी चाहिए तो कोई यह चाहता है कि 18 वर्ष इसे किया जाये. लेकिन जरूरी यह है कि नाबालिगों को अपराध से दूर रखा जाये. उन्होंने कहा कि मैं बिल के पक्ष में हूं.

चर्चा में भाग लेते हुए अन्नाद्रमुक के नेता नवनीत कृष्णन ने कहा कि यह काफी गंभीर मुद्दा है. इस बिल पर गंभीरतापूर्वक चर्चा होनी चाहिए. मेरा यह मानना है कि नाबालिगों द्वारा किये गये अपराध के पीड़ितों के लिए कुछ नहीं किया जाता है. जबकि उनके लिए सुरक्षा की विशेष व्यवस्था होनी चाहिए.

राज्यसभा में सांसदों ने बिल के कुछ प्रावधानों पर सवाल उठाया, जिसके बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली ने उनकी शंकाओं का समाधान किया. चर्चा में शामिल होते हुए सतीशचंद्र मिश्रा ने कहा कि जुवेनाइल बिल को लेकर लोगों के मन में काफी शंकाएं हैं. अगर जुवेनाइल बिल में उम्र 16 वर्ष कर दी जायेगी, तो इसे लेकर लोग संशकित है. अत: सरकार को उन धाराओं को स्पष्ट करना चाहिए जिसमें यह बताया जाना चाहिए कि अगर नाबालिग क्राइम करता है, तो उसे सजा तो मिलेगी, लेकिन अगर उसने कोई गलती अनजाने में कर दी, तो उसे किस तरह की सुरक्षा दी जायेगी. मिश्रा ने सत्तापक्ष के सांसद बीके सिंह की मानसिकता पर सवाल उठाते हुए उन्हें सुधार गृह भेजने की मांग की, जिसपर सत्तापक्ष ने आपत्ति जतायी और टिप्पणी को कार्यवाही से निकालने की मांग की.

चर्चा में शामिल होते हुए बीजद के सांसद दिलीप कुमार तिर्की ने कहा कि हम गंभीर बिल पर चर्चा कर रहे हैं. हमारा यह सोचना कि किशोर जो अपराध करते हैं उन्हें अपराध की जानकारी नहीं होती, यह गलत है. किशोर जानते समझते अपराध करते हैं. किशोर अपराध का बढ़ना चिंताजनक.

निर्भया के परिवार ने की मुख्‍तार अब्बास नकवी से मुलाकात
आपको बता दें कि यह बिल लोकसभा में पेश किया जा चुका है. इस मामले को लेकर आज निर्भया के परिवार ने भाजपा सांसद मुख्‍तार अब्बास नकवी से मुलाकात की है. इस मुलाकात के बाद नकवी ने कहा कि आज सदन में इस बिल पर चर्चा संभव है. हमें उम्मीद है कि यह बिल आज पास हो जाएगा. इस बिल पर हमने सभी पार्टियों से बात की है. वहीं निर्भया की मां ने कहा कि हमने सभी पार्टियों के नेताओं से बात की है और उनसे इस बिल को पास करने का आग्रह किया है. इस बिल के पास हो जाने के बाद देश की बेटियों को फायदा मिलेगा.उल्लेखनीय है किराज्यसभा में बहुत दिनों से जारी गतिरोध के बावजूद सोमवार को बहुत कम समय में तीन बिल पास हो गये. इनमें एससी-एसटी समेत तीन बिल है.

सांसदोंपर बढा दबाव
निर्भया केस मेंनाबालिग की रिहाई के बाद सांसदों पर जुवेनाइल जस्टिस बिल को लेकर दबाव बढ़ गया है. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्यसभा में जुवेनाइल बिल पर चर्चा के लिए सभी पार्टियां राजी हो गई है. कल ही कांग्रेस ने इस बिल पर समर्थन के संकेत दिए हैं. दूसरी तरफ बीजेपी ने कांग्रेस पर बिल को लेकर चर्चा में शामिल नहीं होने का आरोप लगाया है.

कांग्रेस पर आरोप

सोमवार को केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा, ‘‘निर्भया मामले के दोषी किशोर की रिहाई के खिलाफ देश में स्पष्ट नाराजगी है. विधेयक तीन बार सूचीबद्ध किया गया लेकिन कांग्रेस सत्र को चलने नहीं दे रही है और निर्भया को न्याय नहीं मिला.’ सपा नेता रामगोपाल यादव ने विधेयक पारित होने में देरी के लिए ‘‘राजनीति’ को जिम्मेदार ठहराया. माकपा नेता बृंदा करात ने कहा कि यदि कानून में संशोधन पारित हो भी जाता है तो भी यह इस सामूहिक बलात्कार कांड के किशोर दोषी के खिलाफ पिछली तारीख से लागू नहीं हो पायेगा.

क्या है कानून
गौरतलब है कि नए जुवेनाइल जस्टिस बिल में कहा गया है कि रेप, मर्डर और एसिड अटैक जैसे खतरनाक अपराधों में शामिल नाबालिगों को बालिग मानकर उसपर कार्रवाई की जाए. गंभीर अपराध करने वाले नाबालिगों पर केस आम अदालतों में और बालिगों के लिए कानून के अनुसार चलेगा. वर्तमान कानून के मुताबिक नाबालिग को ज्यादा से ज्यादा तीन साल तक के लिए सुधार गृह में रखा जा सकता है.

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