नयी दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब महज पखवाड़ा भर बचा है और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल अपने कंधों पर जनता की उम्मीदों का भारी बोझ महसूस कर रहे हैं. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि गांधीवादी नेता अन्ना हजारे से अलग होने के बाद उनके कंधे कमजोर हुए हैं.
आप नेता ने यहां वीमेन्स प्रेस कोर में संवाददाताओं के साथ बातचीत में अपने कंधों पर जनता की बढ़ती उम्मीदों के बोझ को स्वीकार करते हुए कहा, ‘‘ जनता की आशाएं इतनी अधिक बढ़ गयी हैं कि अब डर लगने लगा है.’’ जनता के समक्ष भाजपा कांग्रेस बनाम ‘आप’ की स्थिति पैदा होने की बात स्वीकार करते हुए केजरीवाल ने कहा कि निश्चित रुप से जनता दोनों ही पार्टियों और उनके भ्रष्टाचार से तंग आ चुकी है. ऐसे में आप के प्रति जनता की बढ़ती उम्मीदें अब डर पैदा कर रही हैं. उन्होंने कहा , हमने यह कभी नहीं कहा कि रातों रात तस्वीर बदल जाएगी. हमारे पास कोई जादू की छड़ी नही है लेकिन हमारी नीयत साफ है. हम इसी साफ नीयत के साथ काम में जुटेंगे लेकिन चीजों को दुरुस्त करने में समय लगेगा.
केजरीवाल ने संवाददाताओं के इस सवाल से सहमति जतायी कि गांधीवादी नेता अन्ना हजारे के अलग होने से उनके कंधे कमजोर हुए हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ उनसे अलग होकर हमारे कंधे कमजोर हुए हैं,यह सही है.’’ उन्होंने गांधीवादी नेता अन्ना हजारे के नाम का गलत इस्तेमाल किए जाने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने कहीं भी अन्ना हजारे के नाम का दुरुपयोग नहीं किया. उन्होंने कहा,‘‘ लेकिन जब मैं कहता हूं कि रामलीला मैदान में , जहां अन्ना जी ने आंदोलन किया था तो यह तो सचाई है. हम भी उस आंदोलन का हिस्सा थे और हम अपने आप को उससे काट हीं सकते.’’
रामलीला मैदान संबंधी बयान विशेषाधिकार का हनन नहीं:केजरीवाल
दिल्ली की सत्ता में आने की सूरत में रामलीला मैदान में जन लोकपाल विधेयक को पारित करने का दावा करने वाले विज्ञापन को लेकर कांग्रेस द्वारा विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिए जाने के संबंध में ‘आप’ नेता अरविंद केजरीवाल ने आज कहा कि उन्होंने इस प्रकार का बयान देकर किसी नियम-कानून का उल्लंघन नहीं किया है.
केजरीवाल ने आज यहां वीमेन्स प्रेस कोर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि इस संबंध में उन्हें एक नोटिस मिला है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रवक्ता और विधायक मुकेश शर्मा ने विधानसभा में विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है जिसमें कहा गया है कि अरविंद केजरीवाल लोगों को गुमराह कर रहे हैं क्योंकि रामलीला मैदान में विधानसभा की बैठक नहीं बुलायी जा सकती. लेकिन केजरीवाल ने आज इसका जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने कहीं भी किसी प्रकार से विशेषाधिकार का उल्लंघन नहीं किया है. उन्होंने कहा कि रामलीला मैदान में जनता के बीच जनलोकपाल विधेयक पारित करने का बयान उन्होंने पूर्व नौकरशाहों और विधि विशेषज्ञों से पूरी तरह सलाह मशविरा करके ही दिया है.
उन्होंने कहा कि विधानसभा के नियम यह कहते हैं कि किसी भी स्थान को घेरकर उसे विधानसभा बताते हुए अधिसूचित किया जा सकता है जहां बैठकर विधायक कानून बना सकते हैं. उन्होंने कहा कि सत्ता में आने पर वह भी ऐसा ही करेंगे और रामलीला मैदान में घेरे हुए स्थान के अलावा बाकी पूरा मैदान जनता के लिए दर्शक दीर्घा होगा. कांग्रेस विधायक मुकेश शर्मा ने कहा था कि केजरीवाल संविधान का अपमान कर रहे हैं और विधायी संस्थाओं की गरिमा को कमतर करने में लगे हैं.
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘ भाजपा और कांग्रेस मिलकर सरकार बना लें. परदे के पीछे तो दोनों पहले ही मिले हुए हैं. दोनों पार्टियों के नेता रोज रात को साथ डिनर करते हैं तो मिलकर सरकार भी बना लें.’’ केजरीवाल ने हालांकि कहा कि यदि ‘आप’ चुनाव हार जाती है तो संघर्ष जारी रहेगा और यदि जीत जाती है तो और अच्छा करेंगे.अगले कुछ ही दिनों में अपनी पार्टी के घोषणापत्र को जारी किए जाने की जानकारी देते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा कि लोकपाल बिल पारित करना, स्वराज की स्थापना, व्यापार तथा वाणिज्य कानूनों की समीक्षा और प्रशासन में पारदर्शिता स्थापित करना उनकी पार्टी का मुख्य एजेंडा होगा.
उन्होंने कहा कि पहली बार ‘आप’ पार्टी ऐसी व्यवस्था करने जा रही है जिसमें बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के विकास के संबंध में जनता को यह फैसला करने का अधिकार दिया जाएगा कि पैसा किन किन परियोजनाओं में खर्च किया जाए. विकास के सरकारी दावों की खिल्ली उड़ाते हुए उन्होंने कहा कि आज हालत यह है कि राष्ट्रपति भवन से दो किलोमीटर की दूरी पर डीआईजेड इलाके में लोगों को पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा है. आजादी के छह दशक बाद भी यह हालत है और शीला दीक्षित कहती हैं कि दिल्ली में विकास की रफ्तार है.
केजरीवाल ने प्याज के मुद्दे पर शीला सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री कालाबाजारी करने वालों से हाथ जोड़कर कहती हैं कि वे कालाबाजारी नहीं करें. वह ऐसे कालाबाजारी करने वालों पर छापे क्यों नहीं डलवातीं ?केजरीवाल ने दावा किया कि चार दिसंबर के बाद पता चल जाएगा कि दिल्ली की जनता में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ कितना गुस्सा है.