नयी दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो को नीति निर्माण और जांच के बीच की विभाजन रेखा का सम्मान करने की नसीहत देते हुए वित्त मंत्री पी चिदम्बरम आज वैधानिक शासकीय फैसलों को या तो अपराध या अधिकार के दुरुपयोग में बदलने का प्रयास करने को लेकर जांच एजेंसियों तथा कैग पर बुरी तरह बरसे और कहा कि वे अपनी सीमाओं का अतिक्रमण नहीं करें.
नीतिगत मामलों में सीबीआई को सावधानी से काम करने की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सलाह के एक दिन बाद आज एजेंसी के कामकाज पर अपने विचार रखने की वित्त मंत्री की बारी थी.
चिदम्बरम ने जांच एजेंसी को चेताया कि वह नीति निर्माण और नियंत्रण के बीच के विभाजन रेखा का सम्मान करे.
वित्त मंत्री ने कहा कि जब तक एक फैसले के पक्ष में तर्क दिए गए हैं , ऐसे तर्को को किसी आपराधिक विचार की संभावना को सामान्यत: खत्म करना चाहिए.वित्त मंत्री ने कहा कि जांच एजेंसियों को इस नतीजे पर पहुंचने से पूर्व सावधानीपूर्वक काम करना चाहिए कि उपलब्ध तथ्यों के आधार पर लिया गया कोई फैसला या काम अपराध की श्रेणी में आता है.
उन्होंने कहा, ‘‘यहीं पर दिमाग लगाना पड़ता है. मेरे विचार से, यदि जांच एजेंसी अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं करती है, आपराधिक मकसद या मंशा का पता नहीं चलता है और सीधे नतीजे पर पहुंचती है कि कोई फैसला या कार्रवाई आपराधिक श्रेणी की है तो यह सामान्य समझ के पूरी तरह खिलाफ होगा. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने हाल ही में स्पेक्ट्रम और कोल ब्लाकों के आवंटन में सरकार द्वारा अपनायी गयी नीतियों पर सवाल उठाया था. दोनों ही मामलों की जांच सीबीआई कर रही है.
सीबीआई को ‘‘पिंजरे में बंद तोता’’ बताए जाने का जिक्र करते हुए चिदम्बरम ने कहा कि जांच एजेंसी के बारे में कई तरह की भ्रांतियां है जिनमें उसे ‘‘पिंजरे में बंद पक्षी’’ से लेकर अपमानजनक भाषा में ‘‘कांग्रेस ब्यूरो आफ इंवेस्टीगेशन’’ तक बताया गया है.उन्होंने कहा, ‘‘ इसमें से कोई भी व्याख्या सही नहीं है या इनका अर्थ तक सही नहीं है. कुछ भ्रांतियां सावधानीपूर्वक गढ़ी गयी हैं और इनका मकसद संकीर्ण निहित स्वार्थ हैं.’’
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि कई बार सीबीआई ने अधिक शक्तियां और अधिक स्वायत्तता दिए जाने की मांग करके खुद को ‘‘असहाय पीड़ित’’ के रुप में दिखाया है. उन्होंने कहा, ‘‘शायद ही किसी ने इस विरोधाभास को देखा है कि एक ही व्यक्ति एक बार ‘‘सीबीआई को अधिक अधिकार ’’ दिए जाने और कुछ ही समय बाद वह कथित‘‘सीबीआई के अत्याचारों ’’ का मुद्दा उठाते हुए दूसरे पाले में चला जाता है. ’’