चंडीगढ़ : देश में मुसलमानों पर ‘‘बार-बार हो रहे अत्याचार’ और ‘‘बढ़ती असहनशीलता’ के विरोध में जानीमानी पंजाबी लेखिका और पद्मश्री से सम्मानित दलीप कौर तिवाना ने आज अपना अवॉर्ड लौटाने का फैसला किया. वहीं, अपना साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटा रहे लेखकों की कडी में आज एक और कन्नड लेखक शामिल हो गए.
इसी से जुडे एक घटनाक्रम में बुकर अवॉर्ड से सम्मानित सलमान रश्दी ने ‘‘मोदी टोडीज’ द्वारा की जा रही निंदा को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उन्होंने किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं किया, बल्कि वह ‘‘आपराधिक हिंसा’ के खिलाफ हैं. ‘टोडीज’ शब्द प्रभावशाली लोगों की चाटुकारिता करने वाले व्यक्ति के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
केंद्र को लिखे एक पत्र में तिवाना ने कहा, ‘‘गौतम बुद्ध और गुरु नानक देव की भूमि पर सांप्रदायिकता के कारण 1984 में सिखों पर हुआ दमन और बार-बार मुस्लिमों पर हो रहा अत्याचार हमारे देश और समाज के लिए काफी शर्मनाक है.’ साल 2004 में पद्मश्री सम्मान पाने वाली तिवाना ने यह भी कहा, ‘‘सच्चाई और इंसाफ के पक्ष में खडे होने वाले लोगों की हत्या करना हमें दुनिया और ईश्वर की आंखों में लज्जा का पात्र बनाता है. लिहाजा, मैं विरोध में पद्मश्री अवॉर्ड लौटाती हूं.’
‘‘बढती असहिष्णुता’ के विरोध में अपने अवॉर्ड लौटा रहे लेखकों की फेहरिस्त में शामिल होते हुए कन्नड लेखक प्रोफेसर रहमत तारीकेरी ने आज कहा कि विद्वान एम एम कलबुर्गी और अंधविश्वास के खिलाफ लडाई लड़ने वाले नरेंद्र दाभोलकर एवं गोविंद पानसरे की हत्या के विरोध में वह अपना साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटा रहे हैं.
कृष्णा सोबती और अरुण जोशी के भी अवॉर्ड लौटाने के फैसले के बाद नयनतारा सहगल और अशोक वाजपेयी सहित कम से कम 25 लेखक अपने अकादमी अवॉर्ड लौटा चुके हैं और पांच लेखकों ने साहित्य अकादमी में अपने आधिकारिक पदों से इस्तीफा दे दिया है. साहित्य अकादमी ने इन घटनाक्रमों पर चर्चा के लिए 23 अक्तूबर को आपात बैठक बुलाई है.