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शीना बोरा हत्या जांच में मारिया की भूमिका पर फैसला जल्द

मुंबई : शीना बोरा हत्या मामले की जांच में मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त राकेश मारिया को निगरानी की भूमिका दिए जाने को लेकर चल रहे भ्रम के बीच राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज कहा कि इस संबंध में चीजें जल्द स्पष्ट हो जाएंगी. गृह विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने अपनी […]

मुंबई : शीना बोरा हत्या मामले की जांच में मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त राकेश मारिया को निगरानी की भूमिका दिए जाने को लेकर चल रहे भ्रम के बीच राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज कहा कि इस संबंध में चीजें जल्द स्पष्ट हो जाएंगी.

गृह विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर कहा, हम शीना बोरा हत्या मामले की सही स्थिति का खुलासा सही समय पर करेंगे. मारिया का 8 सितंबर को मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से तबादला कर दिया गया था और उन्हें पदोन्नति के साथ महानिदेशक (होम गार्ड्स) बनाया गया था. उनके स्थान पर महानिदेशक स्तर के अधिकारी अहमद जावेद को पुलिस आयुक्त का पद सौंपा गया था। इस फेरबदल से इन अटकलों को बल मिला कि मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस शीना बोरा हत्या मामले को निपटाने के मारिया के तरीके से खुश नहीं थे.

मारिया के तबादले से मीडिया और राजनीतिक हलकों में गर्मी बढ़ने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने अपना फैसला बदल दिया और उसी दिन देर शाम मारिया को शीना बोरा हत्या मामले की जांच का प्रभारी बनाए रखने का ऐलान कर दिया. हालांकि मारिया की वास्तविक भूमिका अभी नहीं बताई गई है. मामला अभी कानूनी और प्रक्रियागत स्तर पर है.
अधिकारी ने कहा कि अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) केपी बक्शी ने फडणवीस को इस मामले की जानकारी दी थी और उन्होंने मारिया और जावेद के साथ इस मामले पर बात की थी. ऐसी खबरें थीं कि मुख्यमंत्री शीना बोरा हत्या मामले के अलावा हाल के कुछ अन्य मामलों जैसे मालवानी शराब त्रासदी को निपटाने के मारिया के ढंग से नाराज थे. इस त्रासदी में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. आईपीएल के पूर्व प्रमुख ललित मोदी के साथ जुलाई 2014 में लंदन में हुई मुलाकात को लेकर भी मारिया सवालों के घेरे में थे.
अधिकारी ने कहा, अगर मुख्यमंत्री नाखुश होते तो उन्होंने बहुत पहले ही मारिया का तबादला कर दिया होता और शीना बोरा मामले का इंतजार नहीं किया होता. वह ललित मोदी मामले पर भी कार्रवाई कर सकते थे. इस बीच एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से जब इस बारे में पूछा गया कि रायगढ़ जिले के एक पूर्व पुलिस अधीक्षक ने तत्कालीन जांच अधिकारी को पेन तालुका के जंगलों में जला हुआ मानव शव मिलने के बाद एफआईआर अथवा एडीआर दर्ज नहीं करने का निर्देश दिया था, तो उन्होंने इसका जवाब देने से इंकार कर दिया.
रायगढ़ के पुलिस अधीक्षक सुवेज हक का कहना था, इस मामले में मेरे वरिष्ठ ही आपको जानकारी दे सकते हैं और मैं मामले में आपको जानकारी देने के लिए किसी तरह भी संबद्ध नही हूं. इस बीच महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने शीना बोरा हत्या मामले की जांच में मारिया की भूमिका को लेकर राज्य की भाजपा नीत सरकार की अनिश्चितता पर उसे जी भर कर कोसा.
चव्हाण ने कहा, कोई नहीं जानता कि इस बहुचर्चित मामले की जांच की निगरानी कौन कर रहा है. बार बार ओहदे बदले जाना राज्य के नेतृत्व के लिए अच्छी बात नहीं है. उन्होंने कहा, पुलिस यह बहाना नहीं बना सकती कि पूरी पुलिस फोर्स गणेश उत्सव के सुरक्षा इंतजाम में जुटी है. इसकी बजाय इसे (सरकार को) मामले की जांच में स्पष्ट होना चाहिए, खास तौर से तब जब धनशोधन की आशंकाएं भी उभरी हैं.

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