नयी दिल्ली : आंध्र प्रदेश के विभाजन से जुड़े मुद्दों पर विचार के लिए गठित मंत्री-समूह ने अपने कार्य-क्षेत्र के बाबत आम लोगों से प्रतिक्रिया मांगी है. गृह मंत्रालय ने कहा कि लोगों की प्रतिक्रिया कार्य-क्षेत्र से जुड़ी होनी चाहिए और उन्हें इसे ‘फीडबैकटूजीओएम-एमएचएऐटनिकडॉटइन’ पर मेल करना चाहिए.
गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की अध्यक्षता में मंत्री-समूह का गठन ऐसे सभी मुद्दों पर विचार के लिए किया गया है ,जिनका हल इस मामले में केंद्र एवं राज्य सरकार के स्तर पर किया जा सकता है. रक्षा मंत्री ए के एंटनी, वित्त मंत्री पी चिदंबरम, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री एम वीरप्पा मोइली और ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश मंत्री-समूह के सदस्य हैं.कार्मिक राज्य मंत्री के साथ-साथ प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री के पद पर तैनात वी नारायणसामी समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य हैं.
मंत्री-समूह इन मुद्दों पर विचार करेगा-
-तेलंगाना एवं विभाजन के बाद आंध्र प्रदेश में रह जाने वाले जिलों की सीमा निर्धारित करने के साथ-साथ दोनों राज्यों और इनके जिलों में चुनाव क्षेत्र, न्यायिक एवं वैधानिक संस्थाओं एवं अन्य प्रशासनिक इकाइयों के बारे में विचार.
-यह सुनिश्चित करने के लिए कानूनी और प्रशासनिक उपायों पर विचार करना कि 10 साल तक हैदराबाद के संयुक्त राजधानी होने के नाते वहां से दोनों राज्यों की सरकारें सुचारु तरीके से काम करें.
-तेलंगाना के गठन के बाद आंध्र प्रदेश के लिए एक नई राजधानी के गठन से जुड़े कानूनी, वित्तीय और प्रशासनिक उपायों पर विचार करना.
-दोनों राज्यों के पिछड़े क्षेत्रों और जिलों की खास जरुरतों पर विचार करना और उससे जुड़ी सिफारिशें करना.
-कानून-व्यवस्था, सभी निवासियों की संरक्षा एवं सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर विचार करना. तेलंगाना के गठन के बाद दोनों राज्यों के सभी क्षेत्रों और जिलों में शांति एवं सद्भाव सुनिश्चित करना. आंध्र प्रदेश के विभाजन के कदम से पैदा होने वाली दीर्घकालिक आंतरिक सुरक्षा चिंताएं और इनसे जुड़ी उचित सिफारिशों पर विचार करना.
-दोनों राज्यों के बीच नदियों के पानी के बंटवारे, सिंचाई के संसाधनों एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों (खासकर कोयला, पानी, तेल और गैस) के बंटवारे पर विचार करना. पोलवरम सिंचाई परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने पर विचार करना.
-दोनों राज्यों के बीच बिजली उत्पादन, पारेषण एवं वितरण से जुड़े मुद्दों पर विचार करना.
-दोनों राज्यों के बीच संपत्तियों, लोक वित्त, सार्वजनिक निगमों और रिणों के बंटवारे से पैदा होने वाले मुद्दों पर विचार करना.
-दोनों राज्यों के बीच अधीनस्थ एवं अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को साझा करने के मुद्दे पर विचार करना.
-विभाजन के बाद संविधान के अनुच्छेद 317 (डी)के तहत जारी राष्ट्रपति के आदेश से पैदा होने वाले मुद्दों पर विचार करना. मंत्री-समूह की अगली बैठक 19 अक्तूबर को होगी.