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जंतर-मंतर पर पूर्व सैनिकों का आमरण अनशन शुरू, ”वन रैंक वन पेंशन” की मांग तेज

नयी दिल्ली : वन रैंक वन पेंशन की मांग को लेकर आज जंतर मंतर पर आंदोलन तेज करते हुए पूर्व सैन्य कर्मियों में से दो ने इस लंबित योजना के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए आमरण अनशन शुरू कर दिया.इस बीच आर्मी, नेवी व एयरफोर्स के 10 पूर्व प्रमुखों ने भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. […]

नयी दिल्ली : वन रैंक वन पेंशन की मांग को लेकर आज जंतर मंतर पर आंदोलन तेज करते हुए पूर्व सैन्य कर्मियों में से दो ने इस लंबित योजना के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए आमरण अनशन शुरू कर दिया.इस बीच आर्मी, नेवी व एयरफोर्स के 10 पूर्व प्रमुखों ने भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने सैनिकों की मांग को तो रखा ही है, साथ ही सैनिकों के प्रदर्शन के दौरान हुई बदसलूकी की जांच कराने की भी मांग की.
यूनाइटेड फ्रंट ऑफ एक्स सर्विसमेन मूवमेंट के मीडिया सलाहकार कर्नल अनिल कौल (सेवानिवृत्त) ने बताया कर्नल पुष्पेन्द्र सिंह (सेवानिवृत्त) और हवलदार मेजर सिंह (सेवानिवृत्त) ने आज से आमरण अनशन शुरू किया है. जंतर मंतर पर चल रहे इस आंदोलन का आज 64वां दिन है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को स्वतंत्रता दिवस पर दिए गए अपने भाषण में वन रैंक वन पेंशन के कार्यान्वयन के लिए कोई निश्चित समय सीमा का ऐलान नहीं किया. उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि बातचीत अंतिम चरण में है. इस पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए पूर्व सैन्य कर्मियों ने अपना प्रदर्शन तेज करने का संकल्प जताया था. वन रैंक वन पेंशन के शीघ्र कार्यान्वयन की मांग को लेकर पूर्व सैन्य कर्मी जंतर मंतर पर और देश के अलग अलग हिस्सों में पिछले दो माह से भी अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे हैं.
करीब 22 लाख पूर्व सैन्य कर्मी और छह लाख से अधिक युद्ध विधवाओं को इस योजना से लाभ होगा. इस योजना के तहत समान सेवा काल में समान रैंक से सेवानिवृत्त होने वाले रक्षा कर्मियों को समान पेंशन मिलेगी और इसका उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख से कोई संबंध नहीं होगा. वर्तमान में सेवानिवृत्त कर्मियों की पेंशन उनकी सेवानिवृत्ति के समय वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों पर आधारित होती है. इसलिए, 1996 में सेवानिवृत्त हुए एक मेजर जनरल को 1996 के बाद सेवानिवृत्त हुए लेफ्टिनेंट कर्नल से कम पेंशन मिलती है.

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