लखनऊ: आगामी लोकसभा वर्ष चुनावों को लेकर ब्राह्मणों को रिझाने की सियासत यूपी में तेज हो गई है. समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अपने-अपने तरीके से ब्राह्मणों को लुभाने में जुट गए हैं. इसके तहत रविवार को सूबे में सपा और बसपा ने अपने को ब्राह्मणों का सबसे बड़ा हितैषी बताया. सपा की तरफ से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जहां पार्टी मुख्यालय में आयोजित रविदास जयंती के कार्यक्रम में ब्राह्मणों पर मायावती के शासन में दर्ज हुए दलित उत्पीड़न के मुकदमों को वापस लेने और एक माह के भीतर ब्राह्मणों की समस्याओं का निस्तारण करने का ऐलान कर ब्राह्मणों का मित्र होने का संदेश दिया. वही बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने महराजगंज में दावा किया कि ब्राह्मणों को सिर्फ बसपा ने ही सम्मान दिया है और कांग्रेस सहित अन्य दलों ने ब्राह्मण समाज का वोट लेकर उसे भुला दिया. मिश्र ने ब्राह्मणों को बहादुर कौम का खिताब भी दिया.
लखनऊ के सपा मुख्यालय में आयोजित परशुराम जयंती के कार्यक्रम में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को भी मौजूद रहना था पर वह दिल्ली से इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आ नहीं सके. उनकी गैरमौजूदगी का असर परशुराम जयंती के कार्यक्रम पर पड़ा,ब्राह्मण समाज के कई नेता कार्यक्रम में अपनी झलक दिखाकर बिना बोले ही चले गए. हालांकि मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में ब्राह्मणों को सपा का अभिन्न अंग बताया और कहा कि ब्राह्मणों ने हमेशा ही समाज को दिशा देना का काम किया है. नेताजी ने हमेशा ब्राह्मणों का सम्मान किया है और आगे भी सपा में ब्राह्मणों को हर स्तर पर महत्व दिया जाएगा. पार्टी के इस कार्यक्रम का आयोजन मनोरंजन कर राज्यमंत्री तेजनरायण पाण्डेय उर्फ पवन पाण्डेय ने किया था. अब इसी तर्ज पर राज्यमंत्री मनोज पाण्डेंय मंडल स्तर पर ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित कर ब्राह्मणों को सपा से जोड़ने की मुहिम में जुटेंगे. पूर्वांचल के चर्चित विधायक विजय मिश्र भी अपने क्षेत्र में एक भव्य ब्राह्मणों सम्मेलन करने की तैयारी में है.
सपा की ब्राह्मणों को लुभाने की यह कवायद बसपा द्वारा 19 संसदीय सीटों पर ब्राह्मण प्रत्याशी उतारने के बाद तेज हुई है. सपा आगामी लोकसभा चुनावों में बसपा के दलित ब्राह्मण गठजोड़ को तोड़ना चाहती है. इसी के तहत पहली बार पार्टी खुलकर ब्राह्मणों को अपने साथ जोड़ने के लिए मैदान में उतर पड़ी है. पहले पार्टी ब्राह्मणों को अपने साथ जोड़ने के लिए इस तरह के आयोजन और जातिगत सम्मेलन करने से बचती थी, पर रविवार को पार्टी मुख्यालय में शंख बजा और महंत भी आये. यही नहीं शंख बजाते हुए ब्राह्मणों नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सपा प्रमुख को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर काबिज करने का संकल्प भी लिया. वही दूसरी तरह बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चन्द्र मिश्र ने महराजगंज में दावा किया कि सपा का ब्राह्मण प्रेम दिखावा है. सपा में ब्राह्मण समाज के नेताओं का सम्मान नहीं है, उनकी सुनी नहीं जाती. सपा प्रमुख जिस ब्राह्मण मंत्री को पसंद करते हैं, उससे मुख्यमंत्री नाखुश रहते हैं. जबकि बसपा में मायावती ब्राह्मण समाज को महत्व देती हैं. इस बार सबसे अधिक संसदीय सीटों पर ब्राह्मणों को टिकट देकर उन्होंने यह साबित भी किया है. सूबे में ब्राह्मण वोटों के लिए सपा और बसपा के बीच शुरू हुई यह जद्दोजहद अभी तेज होनी बाकी क्योंकि जल्दी ही भाजपा व कांग्रेस भी इसमें शामिल हो जाएंगे.
!!राजेन्द्र कुमार!!