इस्तांबुल : पाकिस्तान पर बरसते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि जब तक उसकी धरती से आतंकी ढांचा ध्वस्त नहीं होता, दोनों देशों के बीच बातचीत आगे बढने की गुंजाइश नहीं है.
मुखर्जी ने तुर्की अखबार टुडेज जमान को दिये साक्षात्कार में कहा कि हम पाकिस्तान से मांग करते हैं कि आपकी धरती पर आतंकवादी संगठनों द्वारा बनाये गये ढांचों को ध्वस्त किया जाये. भारत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पूरी कीजिए. आतंकवादियों को भारत के खिलाफ क्रियाकलापों के लिए आतंकवादियों को अपनी धरती का उपयोग मत करने दीजिए.
मुखर्जी ने कहा कि जब तक माहौल नहीं बनाया जाता, आप अन्य गतिविधियों के बारे में बात कैसे कर सकते हैं? इसलिए, हमें आशा है कि जैसा कि नवाज शरीफ ने कहा, वह इसे लागू करने का प्रयास करेंगे.
राष्ट्रपति ने कहा कि इस विषय पर पाकिस्तान द्वारा गंभीर रूप से प्रयास करने चाहिए क्योंकि उन्होंने कहा कि भारत के खिलाफ ज्यादातर आतंकवादी क्रियाकलाप पाकिस्तान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों से किये जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि उचित माहौल बनाने की जरूरत है. वास्तविक नियंत्रण रेखा जिस पर संघर्ष विराम हुआ है, उसका उल्लंघन किया गया है.राष्ट्रपति ने दोनों देशों द्वारा अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए उठाये गये कदमों पर खुशी जतायी.
मुखर्जी ने कहा, मैं खुश हूं कि दोनों प्रधानमंत्रियों ने सैन्य अभियान के महानिदेशकों और अधिकारियों को वर्ष 1972 के उस समझौते के ढांचे के अंतर्गत इस मुद्दे को सुलझाने का निर्देश देने पर सहमति जतायी जिसे भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुए शिमला समझौते के नाम से जाना जाता है. उन्होंने कहा कि हम बातचीत के जरिये सभी मुद्दों को सुलझाने के लिए इस ढांचे का उपयोग कर सकते हैं.
लेकिन उसके लिए शांति जरूरी है. पाकिस्तान द्वारा गंभीर प्रयास करने होंगे. हमारी अपील है कि यह सुनिश्चित हो कि उनकी धरती भारत के खिलाफ आतंकवादी क्रियाकलाप करने के लिए उपयोग नहीं होने दी जायेगी.राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों देशों के पास आतंक और क्षेत्रीय अखंडता से संबंधित मुद्दों पर एक दूसरे से बात करने के लिए कई तंत्र मौजूद हैं.
उन्होंने कहा कि जहां तक पाकिस्तान के साथ हमारे संबंधों की बात है, कई नियमित संस्थागत ढांचे हैं. एक बात को ध्यान में रखा जाना चाहिए कि पाकिस्तान द्वारा वर्ष 2004 में प्रतिबद्धता जतायी गयी थी कि पाकिस्तानी धरती को भारत के खिलाफ क्रियाकलापों के लिए उपयोग नहीं होने दिया जायेगा.