नयी दिल्ली: नरेन्द्र मोदी ने अपनी धर्मनिरपेक्षता पर प्रश्नचिह्न लगाने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर पलटवार करते हुए कहा कि वह ‘‘1980 के दशक की भाषा’‘ बोल रहे हैं. उन्होंने सरकार पर देश की भावना नहीं जानने का भी आरोप लगाया. मोदी ने कहा, ‘‘अन्यथा वह दोषी जनप्रतिनिधियों को बचाने के लिए अध्यादेश नहीं लाती.’‘
उन्होंने यहां कॉलेज के एक समारोह में कहा, ‘‘कुछ लोगों के लिए धर्मनिरपेक्षता एक छोटा उपकरण है जिसके माध्यम से वे जनता की आंखों में धूल झोंकते हैं. मैं प्रधानमंत्री की बात से आश्चर्यचकित हूं जो उन्होंने अमेरिका से लौटने के दौरान कही. ये 1980 की भाषा है. यह 21वीं सदी है. आज लोगों को विकास की जरुरत है.. उन्हें अपना भविष्य बनाने की जरुरत है.’‘युवकों से करीब एक घंटे बात करने वाले मोदी ने कहा कि देश के लोग जो सोचते हैं उस बारे में दिल्ली की सरकार को कोई भान नहीं है अन्यथा उन्होंने अध्यादेश लाने की गलती नहीं की होती.
उन्होंने हिंदी मुहावरा ‘‘जूते भी खाएं, प्याज भी खाएं’‘ का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार दोहरा झटका झेलने को अभिशप्त है. मनमोहन की विदेश यात्रा के दौरान दोषी जनप्रतिनिधियों को लेकर सरकार पर राहुल के हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘इस बीच प्रधानमंत्री की पगड़ी उछाल दी.’‘गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा कि अध्यादेश पर सरकार की किरकिरी के बाद प्रधानमंत्री की ‘‘अमेरिका में बोलती बंद हो गई.’‘उन्होंने कहा, ‘‘देश को राजनीति में शुचिता की आवश्यकता है. देश को साफ-सुथरी सरकार चाहिए.’‘ उन्होंने कहा कि देश के लोगों की इच्छा है कि भ्रष्टाचार का खात्मा हो जिसके लिए शीर्ष स्तर पर प्रतिबद्धता होनी चाहिए.
नरेन्द्र मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कल सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों से कहा कि मेरे खिलाफ एकजुट हों और उन्होंने उम्मीद जताई कि लोग भाजपा के खिलाफ वोट करेंगे. विदेश से लौटने पर प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘‘मुझे उम्मीद है कि सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतें नरेन्द्र मोदी जैसे लोगों के खिलाफ एकजुट होंगीं. आप देखेंगे कि ऐसा होगा जब लोगों को महसूस होगा कि वे क्या कर रहे हैं.’‘