27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पूर्व सेनाध्यक्ष को उच्चतम न्यायालय का अवमानना नोटिस

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल वी के सिंह को अवमानना नोटिस जारी किया. न्यायालय ने कहा कि उनकी आयु के विवाद में सुनाये गये आदेश के खिलाफ उनकी टिप्पणियां पहली नजर में न्यायालय के अधिकार को कम करने और बदनाम करने वाली लगती हैं. शीर्ष अदालत ने एक समाचार […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल वी के सिंह को अवमानना नोटिस जारी किया. न्यायालय ने कहा कि उनकी आयु के विवाद में सुनाये गये आदेश के खिलाफ उनकी टिप्पणियां पहली नजर में न्यायालय के अधिकार को कम करने और बदनाम करने वाली लगती हैं.

शीर्ष अदालत ने एक समाचार पत्र में न्यायालय के आदेश के बारे में पूर्व थल सेनाध्यक्ष के हवाले से प्रकाशित उनकी टिप्पणियों का स्वत: संज्ञान लेने के बाद उन्हें अवमानना नोटिस जारी किया. जनरल वीके सिंह को इस मामले में 23 अक्तूबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है.

समाचार पत्र की रिपोर्ट में जनरल सिंह के हवाले से कहा गया है कि उनकी आयु के मसले का निर्णय मेट्रिक के प्रमाण पत्र के आधार पर क्यों नहीं किया गया जबकि बलात्कार पीडि़तों की आयु के मसले में ऐसे ही दस्तावेज पर भरोसा किया जाता है.

न्यायमूर्ति आर एम लोढा और न्यायमूर्ति एच एल गोखले ने जनरल सिंह का बयान 22 सितंबर को प्रकाशित करने वाले एक राष्ट्रीय दैनिक के प्रकाशक को भी नोटिस जारी किया है.

न्यायाधीशों ने कहा, यह न्यायालय आपराधिक अवमानना का संज्ञान लेता है ओर निर्देश देता है कि उन्हें नोटिस जारी किया जाये कि क्यों नहीं उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरु की जाये. समाचार पत्र में प्रकाशित जनरल सिंह के बयान का जिक्र करते हुये न्यायाधीशों ने कहा, यह न्यायालय को बदनाम करने वाला है और पहली नजर में वी के सिंह का बयान न्यायपालिका को बदनाम करने वाला न्यायालय के अधिकार को कम करने वाला लगता है. न्यायालय ने अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती से कहा है कि वह इस मामले में न्यायालय की मदद करें.

शीर्ष अदालत ने जनरल सिंह की उम्र के विवाद पर न्यायालय के आदेश के बारे में उनकी टिप्पणियों का कल ही संज्ञान लिया था.

जनरल सिंह के हवाले से प्रकाशित इस खबर में कहा गया था कि यदि अदालत बलात्कार पीडि़त की आयु का निर्धारण उसके मैट्रिक प्रमाण पत्र के आधार पर कर सकती है तो उच्चतम न्यायालय मेरे मैट्रिक प्रमाण पत्र का निरीक्षण करके मेरी आयु के विवाद का निर्णय करने में क्यों विफल हो गया?

जनरल सिंह पिछले साल 10 फरवरी को उम्र विवाद को लेकर शीर्ष अदालत में कानूनी लड़ाई उस समय हार गये थे जब न्यायालय ने कहा कि सेवा मामले में उनकी जन्म तिथि के बारे में सरकार का निर्णय ही लागू होगा. इसके बाद जनरल सिंह ने अपनी याचिका वापस ले ली थी.

न्यायालय ने जनरल सिंह से कहा था कि वह अपने इस आश्वासन से पीछे नहीं हट सकते हैं कि वह उनकी जन्म तिथ 10 मई, 1950 मानने के सरकार के निर्णय का पालन करेंगे.

न्यायालय ने इस दौरान जनरल सिंह की राष्ट्र के प्रति 38 साल की सेवाओं की प्रशंसा की थी और कहा कि उसे जनरल सिंह जैसे उत्कृष्ठ अधिकारी की मौजूदगी पर गर्व है.

न्यायालय ने कहा था कि जनरल सिंह की उम्र के बारे में सरकार का निर्णय ही लागू होगा और न्यायालय ने उनके सेवा रिकार्ड में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें