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आर्थिक सुधारों के जनक पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव का स्मारक बनकर तैयार

नयी दिल्ली : ग्रीस में उत्पन्न आर्थिक संकट की चर्चा जोरों पर है. लेकिन भारत भी एक वक्त आर्थिक संकट के मुहाने पर खड़ा था. 90 के दशक में आये आर्थिक संकट के दौरान सुधारों के अग्रदूत के रूप में याद किये जाने वाले नरसिंह राव का स्मारक आखिरकार बनकर तैयार हो गया. उनके निधन […]

नयी दिल्ली : ग्रीस में उत्पन्न आर्थिक संकट की चर्चा जोरों पर है. लेकिन भारत भी एक वक्त आर्थिक संकट के मुहाने पर खड़ा था. 90 के दशक में आये आर्थिक संकट के दौरान सुधारों के अग्रदूत के रूप में याद किये जाने वाले नरसिंह राव का स्मारक आखिरकार बनकर तैयार हो गया.

उनके निधन के दस साल बाद यह स्मारक बनकर तैयार हुआ. कांग्रेस ने उन्हें त्याग दिया था और अपनी सरकार द्वारा दिल्ली में उनके लिए स्मारक के निर्माण से इनकार कर दिया था. शहरी विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिवंगत नरसिंह राव के लिए राष्ट्रीय स्मृति में एक स्मारक घाट बनकर तैयार हो गया है. यह सभी पूर्व राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों के स्मारक के पास है. स्मारक दिवंगत राव की जयंती के साथ ही तैयार हुआ है. राव की जयंती दो दिन पहले ही थी. वर्ष 1991 से 1996 तक कांग्रेस सरकार में प्रधानमंत्री रहे राव को उनकी पार्टी ने त्याग दिया था.
2004 में उनके निधन के बाद, कांग्रेस नीत संप्रग सरकार ने उनके लिए कोई स्मारक बनाने से इनकार कर दिया था. यूपीए-दो ने इससे और एक कदम आगे बढते हुए 2013 में तय किया कि किसी भी नेता के लिए अब अलग से स्मारक नहीं बनेगा. सरकार ने जगह की कमी का हवाला देते हुए यह फैसला किया था.
संगमरमर से बने इस स्मारक पर एक पट्टिका लगी है जिसपर राव के योगदान का संक्षिप्त वर्णन है. पट्टिका पर लिखा है, भारत के विद्वान प्रधानमंत्री के रुप में प्रख्यात, श्री पी. वी. नरसिंह राव का जन्म तेलंगाना राज्य के वारंगल जिले के लकनेपल्ली गांव में 28 जून, 1921 को हुआ था. वह एक महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी के रुप में उभरे और निजाम के कुशासन के खिलाफ लड़े. उसमें आगे लिखा है, एक सुधारक, शिक्षाविद्, विद्वान, 15 भाषाओं के ज्ञाता और अपने बुद्धिवादी योगदान के लिए जाने जाने वाले, उन्हें 1962 से 1971 तक आंध्र प्रदेश मंत्रिमंडल में बृहस्पति बुलाया जाता था. वह 1972 में देश में भूमि सुधार लागू करने वाले पहले मुख्यमंत्री बने थे.
पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत नरसिंह राव के स्मारक पर लगी पट्टिका पर लिखा है, केंद्रीय मंत्रिमंडल में 1980-1989 तक मंत्री के रुप में उन्होंने विभिन्न विभाग संभाले और उनमें दीर्घकालिक परिवर्तन किए. भारत के प्रधानमंत्री के रुप में, आर्थिक सुधारों को लागू किया और भारत में मजबूत तथा जीवंत अर्थव्यवस्था की नींव रखी. उसपर लिखा है, पी. वी. नरसिंह राव 23 दिसंबर, 2004 को निधन के साथ अपने पीछे स्थायी विरासत छोड गए.
उन्हें जीवंत भारत के वास्तुकार के रुप में याद किया जाता है. शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि स्मारक के चारों ओर जाली लगाने के काम को छोडकर, स्मारक का निर्माण पूरा हो चुका है, और जो भी श्रद्धांजलि देने का इच्छुक हो वहां जा सकता है. दिवंगत राव की जयंती पर, दो दिन पहले, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के आर्थिक सुधारों के अगुआ पूर्व प्रधानमंत्री को भावभीनी श्रद्धांजलि दी थी. मोदी ने कहा था, श्री पी. वी. नरसिंह राव की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि. हम उन्हें समृद्ध राजनीतिक अनुभवों से लैस महान विद्वान के रुप में याद करते हैं. शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू 15 जून को स्थल पर गए थे और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) से कहा था कि वह दिवंगत राव की जयंती से पहले स्मारक निर्माण का काम पूरा कर ले. नायडू ने इससे पहले राव के लिए एकता स्थल पर स्मारक बनाने के संबंध में केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्ताव रखा था.
एकता स्थल को अब राष्ट्रीय स्मृति के साथ मिला दिया गया है जहां केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी से सभी पूर्व राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों और अन्य लोगों के स्मारक बनाए जाते हैं. करीब 22.56 एकड़ में स्थित एकता स्थल यमुना नदी के पास विजय घाट और शांति वन के बीच स्थित है. इस परिसर में फिलहाल पूर्व प्रधानमंत्रियों इन्द्र कुमार गुजराल और चन्द्रशेखर, पूर्व राष्ट्रपतियों ज्ञानी जैल सिंह, शंकर दयाल शर्मा, के. आर. नारायणन और आर. वेंकटरमण के स्मारक स्थल हैं.

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