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ACB अधिकारियों पर मीणा को दबाव बनाने से रोके अदालत : अरविंद केजरीवाल सरकार की वकील
नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज उप राज्यपाल की ओर से भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) के नियुक्त प्रमुख एमके मीणा से कहा कि वह कानून के मुताबिक काम करें, हालांकि अदालत ने उनके एसीबी कार्यालय में प्रवेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया. दिल्ली सरकार ने मीणा के इस कार्यालय में प्रवेश […]
नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज उप राज्यपाल की ओर से भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) के नियुक्त प्रमुख एमके मीणा से कहा कि वह कानून के मुताबिक काम करें, हालांकि अदालत ने उनके एसीबी कार्यालय में प्रवेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया. दिल्ली सरकार ने मीणा के इस कार्यालय में प्रवेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया था.
न्यायमूर्ति वीपी वैश ने दिल्ली सरकार का यह अनुरोध भी ठुकरा दिया कि मीणा को एसीबी मुख्यालय से प्राथमिकी पुस्तिका हटाने और नयी प्राथमिकी दर्ज करने से रोका जाए तथा वहां तैनात अर्धसैनिक कर्मियों को तत्काल हटाया जाए. आम आदमी पार्टी सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने एसीबी अधिकारियों पर कथित तौर पर दबाव बनाने से मीणा को रोकने की मांग की और कहा कि अगर उनको एसीबी कार्यालय में प्रवेश करने से रोक दिया जाता है तो यह भ्रष्टाचार निरोध एजेंसी सहजता से काम करेगी.
अदालत ने मीणा को निर्देश दिया कि कानून के मुताबिक काम करें. उच्च न्यायालय ने केंद्र को नोटिस किया है. केंद्र को दो सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देना है. इस मामले की अब 11 अगस्त को सुनवाई होगी. अदालत 11 अगस्त को उस याचिका पर भी इसके साथ सुनवाई करेगी, जिसमें दिल्ली के नौकरशाहों की नियुक्ति का संपूर्ण अधिकार उपराज्यपाल नजीब जंग को देने वाली केंद्र की अधिसूचना को चुनौती दी गई है. अदालत दिल्ली सरकार की उस अर्जी पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि मीणा एसीबी और सतर्कता विभाग के अधिकारियों को धमकाने के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं.आप सरकार की ओर से नियुक्त एसीबी प्रमुख एसएस यादव ने मीणा पर खुद को धमकाने और दबाव बनाने का आरोप लगाया था.
आप सरकार की वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा, कई मौकों पर उन्होंने (मीणा) पुलिसकर्मियों की संलिप्तता वाले भ्रष्टाचार के मामलों को एसीबी से दिल्ली पुलिस के पास स्थानांतरित करने के लिए एसीबी के अधिकारियों पर दबाव बनाया. उन्होंने अंतरिम आदेश की मांग करते हुए कहा, यह सुनिश्चित करने के लिए अत्यावश्यक नहीं, आपातस्थिति है कि एसीबी को सहजता से काम करने दिया जाए. इंदिरा जयसिंह ने आरोप लगाया, केंद्र एसीबी को लेकर दखल देने और इसके सहज कामकाज को प्रभावित करने का बार बार प्रयास कर रहा है. याचिका में जिस अधिसूचना को चुनौती दी गयी है वह इस दिशा में पहला प्रयास था. मैं चाहती हूं कि डराने वाली तरकीबों पर रोक लगे. वकील ने यह दलील अदालत के उस सवाल पर दी कि क्या ऐसा कोई मामला है कि भ्रष्टाचार विरोधी शिकायत मिली और उसे मीणा के समक्ष लाया गया लेकिन प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति नहीं मिली.
अतिरिक्त सॉलीशीटर जनरल संजय जैन ने दलील दी कि एसीबी एक थाना है और पुलिस केंद्र सरकार के अधीन आती है ऐसे में केंद्र सरकार को इसका प्रमुख किसी को नियुक्त करने का अधिकार है और मीणा कोई निरीक्षक नहीं बल्कि संयुक्त सचिव थे. जैन ने कहा कि मीणा को वापस बुलाने का दिल्ली सरकार के गृह विभाग के आदेश को उप राज्यपाल ने रद्द कर दिया. उप राज्यपाल ने कहा कि यह आदेश सक्षम प्राधिकार से अनुमति लिए बगैर किया गया. अदालत ने आप सरकार यह अनुरोध भी ठुकरा दिया जिसमें उसने मुख्य याचिका में मीणा को पक्ष बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. मुख्य याचिका में इस साल 21 मई की अधिसूचना और 23 जुलाई, 2014 की अधिसूचना को चुनौती दी गई है. दिल्ली सरकार ने इस आवेदन में कहा था, 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी मीणा को दिल्ली सरकार के एसीबी के कार्यालय में प्रवेश करने पर रोक लगाई जाए.
उप राज्यपाल नजीब जंग और केजरीवाल सरकार के हालिया टकराव के बाद एसीबी में दो प्रमुखों की नियुक्ति वाली स्थिति पैदा हुई. इंदिरा जयसिंह ने कहा कि निहित स्वार्थ वाले व्यक्तियों की ओर से एसीबी के कामकाज में दखल देने का गैर कानूनी प्रयास किए जाने के कारणह्ण उन्हें अदालत का रुख करने को विवश होना पडा है. उन्होंने दलील दी कि एसीबी को भ्रष्टाचार और सरकारी पद के दुरुपयोग के कृत्यों की जांच से रोका जा रहा है और इसका मकसद उन लोगों को बचाना था जिनके काम जांच के घेरे में रहे हैं तथा न्याय के प्रशासन और कानून के प्रवर्तन की कार्यप्रणाली को नाकाम करना है.
दिल्ली सरकार ने दलील दी कि आपराधिक कानून का प्रवर्तन और आपराधिक प्रक्रिया दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती है और इस तथ्य को 25 मई को एकल न्यायाधीश वाली पीठ ने स्वीकार करते हुए केंद्र की अधिसूचना को संदिग्ध करार दिया था. इंदिरा जयसिंह ने कहा, एमके मीणा के जरिए एसीबी के कामकाज को हथियाने का प्रयास दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल अनिल कुमार के मामले में इस अदालत की ओर दी गई कानूनी बुनियाद के विपरीत है. दिल्ली सरकार ने कहा कि उप राज्यपाल का मीणा को एसीबी की जिम्मेदारी संभालने का आदेश स्पष्ट रूप से गैर कानूनी है.
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