नयी दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कलानिधि मारन के स्वामित्व वाले सन टीवी नेटवर्क के 33 टीवी चैनलों को सुरक्षा संबंधी मंजूरी देने के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूर नहीं किया है, जिससे इन चैनलों के प्रसारण लाइसेंस निरस्त हो सकते हैं.
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय को गृह मंत्रालय के निर्णय के बारे में सूचित कर दिया गया है. समझा जाता है कि गृह मंत्रालय का फैसला मारन और उनके भाई एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री दयानिधि मारन के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों से प्रभावित है.
मारन बंधु चेन्नई में पूर्व संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री दयानिधि मारन के आवास पर बीएसएनएल की 300 हाईस्पीड टेलीफोन लाइनों के कथित आवंटन को लेकर सीबीआई जांच का सामना कर रहे हैं. ये लाइनें मारन के भाई के चैनल तक बढाई गयी थीं.
सन टीवी नेटवर्क और इसके मालिक कलानिधि मारन के खिलाफ दो अन्य आपराधिक मामलों में भी जांच लंबित है. इनमें एयरसेल-मैक्सिस मामले में सीबीआई और काले धन को सफेद में बदलने के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय जांच कर रहा है. टीवी चैनल कानूनी रास्ता अपनाने के लिए स्वतंत्र हैं. अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हस्तक्षेप करें और गृह मंत्रालय के फैसले को निष्प्रभावी कर दें तो भी फैसले को बदला जा सकता है.
सन टीवी नेटवर्क भारत के सबसे बडे मीडिया समूहों में शुमार है जिसके टीवी चैनल भारत में 9.5 करोड़ से ज्यादा घरों में देखे जाते हैं. नेटवर्क ने 10 साल के लिए अपने प्रसारण लाइसेंसों के नवीनीकरण के लिहाज से सूचना और प्रसारण मंत्रालय में आवेदन किया था. इस प्रक्रिया में गृह मंत्रालय से सुरक्षा मंजूरी की जरुरत होती है.
इससे पहले गृह मंत्रालय सन नेटवर्क के 40 एफएम रेडियो स्टेशनों को सुरक्षा मंजूरी देने से मना कर चुका है. जिसके बाद सूचना और प्रसारण मंत्री अरण जेटली ने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए अप्रैल में गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा था. हालांकि गृह मंत्रालय के फैसले में कोई बदलाव नहीं हुआ था.
सन नेटवर्क अपने सन एफएम चैनलों के मामले में अंतरिम राहत के लिए पहले ही मद्रास उच्च न्यायालय में गुहार लगा चुका है और अदालत ने याचिका के निस्तारण तक स्थगनादेश दिया. ताजा मामले में भी सन नेटवर्क अदालत जा सकता है.