नयी दिल्ली: माकपा ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में साम्प्रदायिक हिंसा के दौरान कानून व्यवस्था चुस्त दुरुस्त करने के लिए प्रशासन के समय पर हरकत में नहीं आने को लेकर आज अखिलेश यादव सरकार को जिम्मेदार ठहराया. इस हिंसा में जान माल को काफी नुकसान पहुंचा है.
माकपा सांसद एसके सैदुल हक ने मुजफ्फरनगर का दौरा करने के बाद कहा, ‘‘राज्य सरकार और प्रशासन समय पर हरकत में नहीं आया, जिसके चलते जान माल को काफी नुकसान पहुंचा. यह समझ पाना मुश्किल है कि एक दिन में :27 अगस्त को: तीन हत्याएं होने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई.’’ हिंसा में किसी राजनीतिक दल की संलिप्तता होने के बारे में सवाल पूछे जाने पर हक ने कहा, ‘‘खाप महापंचायत के रुप में जो प्रायोजित किया गया उसमें न सिर्फ पड़ोसी जिलों के लोग शामिल हुए बल्कि उत्तराखंड और हरियाणा के भी लोग शामिल हुए. संयम की बात करने वाली सभी आवाजें फौरन खामोश हो गई.’’
प्रतिनिधिमंडल में शामिल केंद्रीय समिति सदस्य सुभाषिनी अली ने कहा, ‘‘हमने शाहपुर और तनवाली में रह रहे पीड़ितों और लोगों से मुलाकात की. 27 अगस्त से सात सितंबर तक प्रत्येक दिन झड़पें, पथराव, भड़काउ भाषण और लामबंदी होने के बावजूद मजबूती से हस्तक्षेप करने के लिए कुछ नहीं किया गया.’’ मुजफ्फरनगर और इससे लगे इलाकों में हिंसा भड़काने के आरोपी सभी लोगों की फौरन गिरफ्तारी की मांग करते हुए माकपा ने कहा कि राज्य सरकार को शिविरों में राहत के उपयुक्त प्रबंध करने चाहिए और मृतकों के परिजनों तथा घायलों को फौरन मुआवजा अदा करना चाहिए. हक ने कहा, ‘‘तनवाली शिविर के आयोजकों ने हालांकि वादा किया कि उन्हें अभी तक प्रशासन से राशन नहीं मिला है. सामुदायिक मदद के भरोसे ही यह शिविर चल रहा है.’’