रांची:राजधानी से सटे खूंटी, गुमला व सिमडेगा जिले में अपराध घट नहीं रहे हैं. तीनों जिलों में आतंक का माहौल है. इन जिलों के अपराध के आंकड़े बताते हैं कि यहां लोगों की जिंदगी अपराधियों, उग्रवादियों और नक्सलियों के रहमो-करम पर है. तीनों जिलों में लूट, डकैती और चोरी से अधिक हत्याएं होती हैं. इस साल जनवरी से जुलाई तक खूंटी व सिमडेगा में 54-54 और गुमला में 123 लोगों की हत्या हो चुकी है. सात माह में तीनों जिलों में 231 लोग मारे गये हैं. यानी हर दिन एक से अधिक की हत्या.
इन सात माह में तीन जिलों में सामान्य अपराध (लूट, डकैती व चोरी) की सिर्फ 142 घटनाएं हुई हैं. इसमें लूट की 36, डकैती की तीन और चोरी की 103 घटनाएं थानों में दर्ज हैं. खूंटी व गुमला में तो डकैती की एक भी घटना नहीं हुई. साफ है अपराधियों की हत्या करने की मानसिकता के कारण ही इन जिलों में आतंक का माहौल कायम हो गया है.
शाम सात के बाद सड़कें सुनसान : तीनों जिलों में शहरी क्षेत्र भी शाम सात बजे तक सुनसान हो जाता है. लोग दिन में भी ग्रामीण इलाकों में जाने से डरते हैं. सक्षम लोग और व्यापारी पलायन कर रहे हैं. इन जिलों के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग आपराधिक व नक्सली/उग्रवादी गिरोह का वर्चस्व है. सिर्फ गुमला और नक्सलियों, उग्रवादियों और अपराधियों के 14 संगठन सक्रिय हैं. सिमडेगा में आधा दर्जन से अधिक गिरोह हैं, वहीं खूंटी में माओवादी, पीएलएफआइ और जयनाथ साहू गिरोह सक्रिय है.
कैसे हैं हालात
हो रहा पलायन
सिमडेगा : नक्सली, उग्रवादी और आपराधिक गिरोहों के कारण तीनों जिलों के लोग पलायन कर रहे हैं. सिमडेगा के बोलवा, केरसई और बानो थाना क्षेत्र के लोग पहाड़ी चीता गिरोह के अपराधियों से सहमे हैं. इन तीनों थाना क्षेत्रों के कई लोग पलायन कर सिमडेगा में रहने लगे हैं. सिमडेगा से भी कई व्यवसायी शहर छोड़ चुके हैं.
गुमला : जिले के रायडीह, मुरकुंडा, आंजन समेत आस-पास के इलाके के लोग पलायन कर शहर में रह रहे हैं. यहां भी शहर से बड़े पैमाने पर व्यवसायी दूसरी जगह जा रहे हैं.
खूंटी : रनिया, अड़की व कर्रा के सक्षम लोग गांव छोड़ चुके हैं. खूंटी के दो बड़े लाह व्यवसायी पलायन कर गये हैं. दोनों ने अपना कारोबार कोलकाता में शुरू कर दिया है.
पुलिस की कोशिश
गुमला में हाल के दिनों में पुलिस ने पीएलएफआइ के करीब 35 उग्रवादियों को गिरफ्तार किया है. हालांकि कई इलाकों में पुलिस अब भी रात को नहीं जाती. यही हाल खूंटी और सिमडेगा जिले का है. कई इलाकों में वारदात होने के बाद पुलिस सुबह होने का इंतजार करती है.
सामान्य अपराध
अपराध | खूंटी | सिमडेगा | गुमला |
---|---|---|---|
लूट | 04 | 14 | 18 |
डकैती | 00 | 03 | 00 |
चोरी | 23 | 29 | 51 |
* शाम सात बजे के बाद सड़कें सुनसान
* हो रहा पलायन
इन संगठनों का आतंक
गुमला : भाकपा माओवादी, पीएलएफआइ, टीपीसी सहित आपराधिक संगठन पहाड़ी चीता, पात्रिक गिरोह, जन संघर्ष मुक्ति मोरचा, जन क्रांति पार्टी, ग्रीन आर्मी, झारखंड आर्मी, इंडियन टाइगर आर्मी, प्रदीप पासवान गिरोह, झांगुर गुट, राजेंद्र गुट, इस्तिहाक गिरोह
सिमडेगा : भाकपा माओवादी, पीएलएफआइ, टीपीसी, पहाड़ी चीता, जन क्रांति संगठन, बबलू पासवान गिरोह.
खूंटी : भाकपा माओवादी, पीएलएफआइ, जयनाथ साहू गिरोह.
कार्रवाई लगातार जारी है
एमएस भाटिया, आइजी रांची जोन
रात को कट जाते हैं शहर
गुमला, सिमडेगा को अन्य शहरों से जोड़नेवाली सड़कों पर रात को कोई वाहन नहीं चलता. तीनों जिले रात को कट जाते हैं. गुमला से रांची, जशपुर, डुमरी, सिमडेगा मार्ग पर रात को परिचालन नहीं होता. यही हाल खूंटी का भी है.
हत्या का आंकड़ा
माह | खूंटी | सिमडेगा | गुमला |
जनवरी | 10 | 06 | 16 |
फरवरी | 12 | 07 | 20 |
मार्च | 06 | 12 | 20 |
अप्रैल | 06 | 04 | 12 |
मई | 06 | 05 | 23 |
जून | 06 | 07 | 14 |
जुलाई | 08 | 13 | 18 |
कुल | 54 | 54 | 123 |