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किसान पदयात्रा निकालेंगे राहुल गांधी
नयी दिल्ली: कृषि संबंधी संकट के मद्देनजर किसानों तक पहुंच बनाने के लिए किसान रैली के बाद अब राहुल गांधी किसान पदयात्रा निकालेंगे.चूंकि कांग्रेस अपनी खिसकती जमीन बचाने के लिए भूमि अधिग्रहण विधेयक को एक बडा मुद्दा बनाने की कोशिश में हैं, ऐसे में राहुल गांधी की जनता के बीच पहुंच बनाने की व्यापक योजना […]
नयी दिल्ली: कृषि संबंधी संकट के मद्देनजर किसानों तक पहुंच बनाने के लिए किसान रैली के बाद अब राहुल गांधी किसान पदयात्रा निकालेंगे.चूंकि कांग्रेस अपनी खिसकती जमीन बचाने के लिए भूमि अधिग्रहण विधेयक को एक बडा मुद्दा बनाने की कोशिश में हैं, ऐसे में राहुल गांधी की जनता के बीच पहुंच बनाने की व्यापक योजना का लक्ष्य किसानों के बीच पार्टी के कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने और पार्टी के आधार को मजबूती देने का है.
पार्टी सूत्रों ने कहा कि पदयात्रा की शुरुआत महाराष्ट्र के विदर्भ से या तेलंगाना के मेडक समेत किसी अन्य जिले से भी हो सकती है. ये दो ऐसे क्षेत्र हैं, जो किसानों की आत्महत्याओं की खबरों के कारण सुर्खियों में रहे हैं.राहुल गांधी उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और तेलंगाना के विभिन्न जिलों में संकट से जूझ रहे किसानों से मिलेंगे.
उत्तरप्रदेश में वह बुंदेलखंड और पूर्वी उत्तरप्रदेश की यात्र कर सकते हैं.
कांग्रेस उपाध्यक्ष संप्रग सरकार के शासन के दौरान भी बुंदेलखंड का मुद्दा उठा चुके हैं और पैकेज सुनिश्चित कर चुके हैं. पूर्वी उत्तरप्रदेश एक और ऐसा क्षेत्र है, जहां किसान संकट में हैं. यह क्षेत्र बिहार से सटा है और बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं.जब अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के संचार विभाग के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा, ‘‘राहुल जी आने वाले दिनों में किसान पदयात्रा करेंगे. वह उन सभी राज्यों की यात्र करेंगे, जहां किसान संकट में हैं. उनके इस कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी को अंतिम रुप दिया जाना अभी बाकी है.’’
राहुल गांधी की इस पदयात्रा को जमीनी स्तर पर संपर्क कायम करने के एक प्रयास के रुप में देखा जा रहा है. यह प्रयास एक ऐसे समय में किया जा रहा है, जब पार्टी के सामने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार से उबरने की चुनौती है. इन चुनावों में पार्टी की सीटों की संख्या वर्ष 2009 के आम चुनावों में मिली 206 सीटों से कम होकर सीधे 44 पर आ गई थी.
पार्टी की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं और लोकसभा चुनावों में भारी हार के बाद उसे विभिन्न राज्यों के चुनावों में भी हार का मुंह देखना पडा था. हरियाणा और राजस्थान में अपने दम पर और महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर एवं झारखंड में गठबंधन की सरकार चला रही कांग्रेस को पिछले एक साल में विधानसभा चुनावों में बुरी तरह हार का मुंह देखना पडा.
पार्टी राजग के भूमि विधेयक के खिलाफ विपक्ष के विरोध और कृषि संबंधी संकट को एक ऐसे अवसर के रुप में देख रही है, जब वह किसानों के बीच अपने आधार को विस्तार दे सकती है.
पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ऐतिहासिक चिकमगलूर उपचुनावों के साथ किसानों के मुद्दे पर आंदोलन शुरु किया था, जिसके साथ कांग्रेस की वापसी शुरु हुई थी.राहुल ने वर्ष 2011 में उत्तरप्रदेश के भट्टा परसौल में जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन शुरु किया था, जिसके बाद वर्ष 2013 में संप्रग का भूमि विधेयक पारित हो गया था. उस विधेयक के प्रावधानों में राजग ने इस बार अध्यादेश के जरिए बदलाव किए हैं.
राहुल ने ओडिशा के नियमगिरी में आदिवासियों की जमीन के अधिग्रहण के खिलाफ भी एक आंदोलन शुरु किया था.
वर्ष 1977 और 1989 में जब कांग्रेस मुश्किल स्थिति में थी, तब राहुल की दादी इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी ने भी उस समय ऐसे ही जनसंपर्क कार्यक्रम शुरु किए थे और इससे अच्छे परिणाम मिले थे. पार्टी को उम्मीद है कि यह पदयात्र एकबार फिर लोगों को जोडने में सफल होगी.
ऐसी पिछली बडी पदयात्रा आंध्रप्रदेश के दिवंगत मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी ने लगभग 12 साल पहले निकाली थी. उस पदयात्रा ने तब कृषि संकट से जूझ रहे राज्य में कांग्रेस को वापस जिताने में मदद की थी. शरद पवार ने भी लगभग 30 साल पहले समस्याओं से जूझ रहे किसानों पर केंद्रित ‘शेतकरी दिंडी’ निकाली थी. यह महाराष्ट्र के किसानों द्वारा निकाला जाने वाला जुलूस है. उस समय पवार विपक्ष में थे.
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