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सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा भूमि अधिग्रहण अध्यादेश जारी करने पर केंद्र से चार सप्ताह में मांगा जवाब

नयी दिल्ली : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा दोबारा भूमि अधिग्रहण अध्यादेश जारी करने के खिलाफ शीर्ष अदालत में दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और चार सप्ताह में जवाब देने को कहा. शीर्ष अदालत ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को दोबारा जारी करने के […]

नयी दिल्ली : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा दोबारा भूमि अधिग्रहण अध्यादेश जारी करने के खिलाफ शीर्ष अदालत में दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और चार सप्ताह में जवाब देने को कहा. शीर्ष अदालत ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को दोबारा जारी करने के संबंध में केंद्र से सभी आवश्यक दस्तावेज सौंपने को कहा है.
न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने आज कुछ संस्थाओं व किसान संगठनों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया.
उल्लेखनीय है कि संवैधानिक बाध्यताओं के कारण पहली बार जारी किये गये भूमि अध्यादेश पांच अप्रैल को खत्म होने वाला था, क्योंकि उसका विधेयक स्वरूप लोकसभा में पारित होने के बाद राज्यसभा में अटक गया था. ऐसे में मोदी सरकार ने 28 मार्च को राज्यसभा के बजट सत्र का अवसान कर दिया, ताकि दोबारा अध्यादेश ला सके. मालूम हो कि सदन की कार्यवाही जारी रहते, उस सदन में अटके किसी विधेयक के अध्यादेश स्वरूप को सरकार पुन: जारी नहीं कर सकती है. हालांकि सरकार ने नये सिरे से राज्यसभा का सत्र 23 अप्रैल से बुलाया है.
किसान संगठनों ने अपनी जनहित याचिका में इस अध्यादेश को पुन: जारी करने के औचित्य पर सवाल उठाया था. इस पीआइएल में कहा गया था कि इस अध्यादेश को पुन: जारी करना संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन है. याचिका दायर करने वाले संगठनों में दिल्ली ग्रामीण समाज, भारतीय किसान यूनियन, ग्राम सेवा समिति व चोगमा विकास आवाम शामिल हैं. किसान संगठनों की ओर से मशहूर वकील इंदिरा जयसिंह ने पक्ष रखा. मालूम हो कि 10 मार्च को लोकसभा ने भूमि अधिग्रहण विधेयक को पारित किया था.

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