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परिक्रमा के शोरगुल के बीच व्यथित, लेकिन शांत है अयोध्या

अयोध्या : विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की प्रस्तावित चौरासी कोसी परिक्रमा के आयोजन को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इजाजत नहीं दिये जाने को लेकर मचे बवाल के बीच अयोध्या नगरी खामोश है और यहां के बाशिंदे जेहन में धर्म और राजनीति के घालमेल से जुड़े सवाल लिये अपने कामकाज में मसरुफ हैं. सुरक्षा व्यवस्था को […]

अयोध्या : विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की प्रस्तावित चौरासी कोसी परिक्रमा के आयोजन को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इजाजत नहीं दिये जाने को लेकर मचे बवाल के बीच अयोध्या नगरी खामोश है और यहां के बाशिंदे जेहन में धर्म और राजनीति के घालमेल से जुड़े सवाल लिये अपने कामकाज में मसरुफ हैं.

सुरक्षा व्यवस्था को देखें तो अयोध्या 22 साल पीछे चली गयी लगती है. नगर को वर्ष 1992-93 की तरह एक बार फिर छावनी में तब्दील कर दिया गया है लेकिन शहर में प्रवेश करते ही वहां लोगों में आपसी तनाव का कोई निशान नहीं दिख रहा है. लोग अपने-अपने काम में व्यस्त हैं और कहीं किसी के आने-जाने पर कोई पाबंदी नहीं है.

हालांकि संदेह होने पर पुलिसकर्मी लोगों की तलाशी ले रहे हैं और परिक्रमा करने को आतुर लोगों को रोकने के लिये नगर की सीमाओं को सील कर दिया गया है.

फैजाबाद की तरफ जाने वाली हर बस तथा वाहन को चार जगहों पर रोककर पड़ताल की जा रही है ताकि विहिप नेताओं तथा कार्यकर्ताओं को अयोध्या पहुंचने से रोका जा सके. हालांकि लोकसभा चुनाव को लेकर सभी दलों की तैयारियों के जोर पकड़ने के बीच अयोध्या को एक बार फिर विवाद के केंद्र मंे लाये जाने से यहां के बाशिंदे दुखी और खफा हैं.

अयोध्या में सड़क के किनारे चाय की दुकान चलाने वाले छोटू का कहना है क्या बताएं. ये सब राजनीति है जिसमें हम गरीबों को परेशानी उठानी पड़ती है. इतनी महंगाई है. एक दिन भी कर्फ्यू लग जाता है तो खाने के लाले पड़ जाते हैं. अयोध्या के एक अन्य निवासी रिजवान अली का भी कहना है कि शहर में कहीं कोई सांप्रदायिक तनाव नहीं है. यह शहर हिंदू-मुस्लिम भाईचारे के लिए जाना जाता रहा है और यह भावना अब भी कूट-कूट कर भरी है.

उन्होंने कहा, परिक्रमा और मंदिर का मुद्दा सिर्फ राजनीति खेलने के लिए उठाया जा रहा है लेकिन इसकी सबसे ज्यादा मार हमारे जैसे आम लोगों पर पड़ती है. गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का समर्थन प्राप्त विहिप ने अयोध्या के विवादित स्थल पर मंदिर बनाने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए आगामी 25 अगस्त से 13 सितम्बर के बीच अयोध्या चौरासी कोसी परिक्रमा करने का इरादा जाहिर करते हुए राज्य सरकार से इसकी इजाजत मांगी थी. हालांकि सरकार ने परम्परा के हिसाब से इस परिक्रमा की आयोजन अवधि अप्रैल-मई में गुजर चुकने का हवाला देते हुए परिक्रमा की इजाजत देने से इनकार कर दिया था.

चौरासी कोसी परिक्रमा छह जिलों फैजाबाद, बस्ती, बाराबंकी, गोण्डा, बहराइच तथा अंबेडकरनगर से होकर गुजरती है.विहिप द्वारा इस परिक्रमा को हर हाल में निकालने का ऐलान किये जाने के मद्देनजर इस सिलसिले में कल रात लखनउ में एक उच्चस्तरीय बैठक की गयी जिसके बाद प्रदेश के पुलिस महानिदेशक देवराज नागर ने कहा कि अयोध्या की चौरासी कोसी यात्रा कतई नहीं होने दी जाएगी और जो भी ऐसा करने की कोशिश करेगा, उसे गिरफ्तार किया जाएगा.

इस बीच, फैजाबाद में कानून-व्यवस्था बनाये रखने के लिये पीएसी की 13 कम्पनियां, रैपिड एक्शन फोर्स की तीन कम्पनियों, दो पुलिस अधीक्षक, 19 अपर पुलिस अधीक्षक, 42 उपाधीक्षक, 135 निरीक्षक, 430 दारोगा तथा 1300 आरक्षी तैनात किये गये हैं.

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