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यौन उत्पीडन मामलों में पीडिताओं को दोषी होने का अहसास कराया जाता है: कोर्ट

नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने एक संगीत शिक्षक को अपनी 13 वर्षीय छात्रा के साथ बार-बार छेड़छाड़ करने का दोषी ठहराते हुए कहा कि स्वाभाविक ही है कि यौन उत्पीडन की शिकार नाबालिग पीडिताएं अपने अभिभावकों पर भरोसा नहीं कर पातीं क्योंकि गुनहगारों की बजाए अक्सर उन्हें ही दोषी ठहराया जाता है. […]

नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने एक संगीत शिक्षक को अपनी 13 वर्षीय छात्रा के साथ बार-बार छेड़छाड़ करने का दोषी ठहराते हुए कहा कि स्वाभाविक ही है कि यौन उत्पीडन की शिकार नाबालिग पीडिताएं अपने अभिभावकों पर भरोसा नहीं कर पातीं क्योंकि गुनहगारों की बजाए अक्सर उन्हें ही दोषी ठहराया जाता है.

अदालत ने 29 वर्षीय शिक्षक क्रांति किरण की इन दलीलों को खारिज कर दिया कि लड़की ने कई महीने तक घटना के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया. अदालत ने कहा कि लड़की की गवाही जिरह के दौरान यथावत थी.

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रिचा परिहार ने कहा, भारत जैसे देश में, बच्चे खासकर लड़कियां ना तो यह उम्मीद करती हैं और ना ही उन्हें यौन मुद्दों के बारे में बताया जाता है और अक्सर ऐसा होता कि ऐसे अपराधों के शिकार बच्चों को ही, अपराध के लिए कसूरवार ठहराया जाता है.

उन्होंने कहा, इसलिए, स्वाभाविक ही है कि आरोपी की धमकियों के कारण पीडित ऐसी चीजों के बारे में अभिभावकों या दोस्तों को बताने से डरते हैं या फिर नहीं बताते. अदालत ने संगीत और नृत्य शिक्षक को अपनी छात्रा की लगातार मर्यादा भंग करने और उसे जान से मारने की धमकी देने का दोषी ठहराया.

अभियोजन के मुताबिक, कक्षा आठ में पढ़ने वाली पीडिता अपने भाई के साथ छुट्टियों के दौरान संगीत और नृत्य कक्षा में शामिल हुयी. किरण उसे अलग से बुलाता और छेड़छाड़ करता था. किरण ने दावा किया था कि लड़की के अभिभावकों ने उसे फंसाया क्योंकि वे शुल्क नहीं देना चाहते थे.

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