।।इंटरनेट डेस्क।।
आज जेएनयू कैंपस में क्लास के अंदर घुसकर एक लड़के ने एक लड़की पर जानलेवा हमला किया और खुदकुशी की कोशिश भी की. इलाज के दौरान लड़के की मौत हो गयी और लड़की की स्थिति गंभीर बनी हुई है. कुछ इसी तरह की घटना 2011 में रांची के संत जेवियर्स कॉलेज में घटी थी. जब बिजेंद्र सिंह नाम के एक युवक ने प्रेम प्रस्ताव स्वीकार नहीं करने पर खुशबू नाम की एक लड़की की गला काटकर हत्या कर दी थी. सवाल यह है कि आखिर यह कैसी असहिष्णुता है? आखिर क्यों आज का युवा वर्ग प्रेम में इतना बेसब्र हो जाता है कि वह अपने साथी की हत्या करने में भी गुरेज नहीं करता? ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वालों को क्या सजा मिलनी चाहिए? और किस तरह समाज ऐसी घटनाओं को रोक सकता है? ये चंद ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब हमारे समाज को चाहिए? हमने अपने पाठकों से यह जानने की कि आखिर क्यों हमारे समाज का युवा वर्ग इतना असहिष्णु हो गया है. साथ ही हमने युवाओं से यह भी जानने की कोशिश की कि ऐसी घटनाओं के लिए कौन जिम्मेदार हैं और कैसे इन घटनाओं को रोका जा सकता है. प्रस्तुत है हमारे पाठकों की राय :
राजीव रंजन मुखिया : मेरे विचार से हमारे समाज में काफी खुलापन आ गया है, जिसके कारण इस तरह की घटनाएं हो रहीं हैं. अगर लड़के और लड़कियों के लिए अलग से शिक्षा की व्यवस्था हो, तो संभवत: ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है.
प्रमोद कुमार: मेरे विचार से हमारे समाज में आजकल जो घटनाएं हो रहीं है, वह नैतिक पतन की पराकाष्ठा है. इससे निपटने के लिए समाज को सामूहिक प्रयास के लिए आगे आना होगा.
जॉन बेंग : हमारा युवावर्ग आज प्रेम का अर्थ सिर्फ साथी को पा लेना समझते हैं और जब ऐसा नहीं होता वे दिमागी रूप से परेशान हो जाते हैं. उन्हें यह बात समझनी चाहिए कि यह जरूरी नहीं कि जिससे आप प्रेम करते हों वह आपका जीवनसाथी बने. हमें यह भी सोचना चाहिए कि हमारे जीवन में अन्य रिश्ते मां-बाप, भाई-बहन भी काफी मायने रखते हैं.
राजेश कुमार गुप्ता : हमारे समाज में जो खुलापन व्याप्त हो गया है, उसके कारण लड़के और लड़कियां भ्रमित हो गये हैं. वे गलत रास्तों पर जा रहे हैं, जब उनकी इच्छा पूरी नहीं होती है, तो वे आक्रामक हो जाते हैं और इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं.