वाशिंगटन: मानवाधिकारों को सार्वभौमिक बताते हुए धर्मनिरपेक्ष भारतीय – अमेरिकी समूह ने भाजपा नेता नरेंद्र मोदी को वीजा नामंजूर करने की वर्तमान नीति पर बने रहने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को लिखे गये 65 सांसदों के पत्र को सही ठहराया है.
बीते आठ साल से भी अधिक समय से मोदी विरोधी अभियान छेड़ा हुआ यह भारतीय अमेरिकी समूह अमेरिका को इस बात पर राजी करने में अब तक कामयाब रहा है कि मोदी को अमेरिकी वीजा नहीं दिया जाये.
इन समूहों ने हालांकि कहा कि पिछले साल मोदी के खिलाफ ओबामा को लिखे गये पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले कुछ नेताओं पर अब इस पर हस्ताक्षर से इनकार करने का दबाव है.
राज्यसभा के 25 और लोकसभा के 40 सदस्यों ने क्रमश: 26 नवंबर और पांच दिसंबर 2012 को यह पत्र लिखा था और इसे रविवार को व्हाइट हाउस के लिए फिर से फैक्स किया गया.
इस बीच, द वाशिंगटन पोस्ट ने सांसदों द्वारा ओबामा को अंदरुनी मुद्दे पर एक पत्र लिखने के फैसले को लगभग विचार करने योग्य नहीं करार दिया है.
द वाशिंगटन पोस्ट ने खबर दी कि यह लगभग विचार योग्य नहीं है कि भारतीय सांसद किसी अंदरुनी मामले में रुख तय करने के लिए अमेरिका से अपील करें.
अखबार ने कहा कि कई भारतीय नेता भी इस विचार का विरोध करेंगे.उधर भारतीय अमेरिकियों के एक समूह ने ओबामा को लिखे पत्र को सही ठहराया है.
इमाननेट के अध्यक्ष और कोलिशन अगेंस्ट जेनोसाइड के सहसंस्थापक शेख उबैद ने कहा कि मानवाधिकार सार्वभौमिक होते हैं. गुजरात दंगों के पीडि़तों को एक दशक बाद भी न्याय नहीं मिला है जबकि हो सकता है कि इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बन जाये.
उन्होंने कहा कि भारत ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद और फिजी में भारतीयों के खिलाफ दंगों सहित अन्य देशों के आंतरिक मामलों में भी नैतिक रुख अपनाया है तो राष्ट्रपति ओबामा को इसमें शामिलक्योंनहीं किया जा सकता.
उबैद ने पत्र को लेकर भाजपा की इस बात को खारिज किया कि एक सांसद पीछे हट गया है.
उन्होंने कहा कि यह मोदी धड़े की विभाजित करने की रणनीति है. मुझे कुछ और सांसदों के दबाव में आने की संभावना है. मुद्दा मोदी हैं और पूरा मामला दर्शाता है कि मोदी पर दाग है और भारत, गुजरात, हिंदुत्व और यहां तक कि भाजपा के लिए बोझ हैं.