नयी दिल्ली : गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के राजकाज के आलोचक रहे नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्यसेन ने कहा है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और अल्पसंख्यक अधिकारों के मामले में पीछे रहने के बावजूद कारोबार और ढांचागत सुविधाओं के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने वाले गुजरात से भी सीख ली जा सकती है. सेन ने इसके साथ ही यह भी कहा है कि केरल, तमिलनाडु और यहां तक कि हिमाचल प्रदेश से इससे भी बड़ी सीख ली जा सकती है. उन्होंने कहा कि सबसे तेजी से जिस राज्य में बदलाव दिखाई दे रहा है वह केरल है.
सेन ने कल शाम यहां अपनी नई पुस्तक को विमोचन करते हुये कहा ‘‘यहां पूरी तरह से विविधतापूर्ण अनुभव दिखाई देते हैं. यहां कारोबार के क्षेत्र में गुजरात जैसे कुछ बहुत अच्छे अनुभव मिलते हैं तो वहीं उसके साथ शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, स्त्री पुरष समानता और इससे जुड़ी सार्वजनिक नीतियों में काफी खराब रिकार्ड भी जुड़ा है.’’सेन ने लेखक और अर्थशास्त्री जॉन ड्रेजे के साथ मिल कर लिखी गयी अपनी नई पुस्तक में आधुनिक भारत के उपलब्धियों पर गौर किया है. इसमें दुनिया की सबसे बड़े लोकतंत्र को सफलता के साथ बनाये रखने का उल्लेख है तो दूसरी तरफ इस बात को लेकर बहस भी छेड़ी है कि देश की विकास रणनीति मूलरुप से ही दोषपूर्ण दिखाई देती है.
लेखक ने पुस्तक में इस बात को रेखांकित किया है कि भारत ने मानव क्षमता की केंद्रीय भूमिका को नजरदांज किया है- और यह उपक्षा इसके अपने आप में लक्ष्य तथा प्रगति के साधन दोनों रुपों में की गयी है. सेन ने इस मामले में केरल का उल्लेख करते हुये कहा कि इस राज्य ने शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के मामले में अच्छा काम किया है और आज भारत के धनी राज्यों में से एक है.