नयी दिल्ली : गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने आज वस्तुत: मान ही लिया कि एनसीटीसी ठंडे बस्ते में चला गया है और हाल फिलहाल में उसका गठन नहीं होगा क्योंकि कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की ओर से इसका विरोध जारी है.शिन्दे ने यहां संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने विवादास्पद राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी केंद्र (एनसीटीसी) गठित करने के बारे में अपने पूर्ववर्ती मंत्री पी चिदंबरम की ही तरह मुख्यमंत्रियों की सहमति हासिल करने के लिए हरसंभव प्रयास किये लेकिन विफल रहे.
प्रस्तावित एनसीटीसी की मौजूदा स्थिति के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि एनसीटीसी को कार्रवाई के लिए जो अधिकार दिये गये थे, सभी हटा लिये गये. ‘‘मैंने सोचा कि अब इसका विरोध नहीं होगा लेकिन कुछ मुख्यमंत्रियों की ओर से अभी भी विरोध जारी है.’’शिन्दे ने कहा कि उन्हें लगता है कि हमें अपनी सीमाओं में रहना चाहिए. हमें अधिक दबाव नहीं डालना चाहिए. हम मुख्यमंत्रियों की सहमति के बगैर (एनसीटीसी पर) आगे नहीं बढेंगे. यह पूछने पर कि क्या उनकी टिप्पणी का मतलब है कि एनसीटीसी अब कभी नहीं बनेगा, गृह मंत्री ने कहा कि वह ऐसा नहीं कह सकते लेकिन कुछ मुख्यमंत्रियों के कडे विरोध के कारण फिलहल एनसीटीसी को लेकर आगे कुछ नहीं हो रहा है.
एनसीटीसी के प्रस्ताव का विरोध कर रहे मुख्यमंत्रियों में ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल), नीतीश कुमार (बिहार), जयललिता (तमिलनाडु), नरेन्द्र मोदी (गुजरात), रमण सिंह (छत्तीसगढ), शिवराज सिंह चौहान (मध्य प्रदेश) और पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल हैं.यहां तक कि पृथ्वीराज चव्हाण (महाराष्ट्र), सिद्धरमैया (कर्नाटक) और तरुण गोगोई (असम) जैसे कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों ने भी एनसीटीसी के संशोधित प्रस्ताव पर आपत्तियां व्यक्त की हैं.सूत्रों ने बताया कि पांच जून को आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में अपने समापन भाषण में शिन्दे ने कहा था कि एनसीटीसी के गठन को लेकर कोई भी फैसला पूर्ण सहमति के बाद ही किया जाएगा.