लखनऊ:जिलों में तैनात सूबे की नौकरशाही जनता की सुन नहीं रही है. दबंगों के खौफ परेशान लोगों की फरियाद थाना और तहसील में अनसुनी की जा रही. जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान भी जनता की शिकायतों का निस्तारण करने में रुचि नहीं ले रहे. मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित जनता दरबार में नौकरशाही की बेअंदाजी की यह हकीकत सामने आयी. जिसे देख मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी हैरत में पड़ गए. उन्हें समझ में ही नहीं आया कि जमीन कब्जे का जो मामला तहसील और थाने स्तर पर हल हो सकता था, उसका निस्तारण करने में जिले के अफसरों ने रुचि क्यों नहीं ली. मुख्यमंत्री अब ऐसे अफसरों को सबक सिखाएंगे जो जनता की समस्याओं की अनदेखी करते हैं.
गौरतलब है कि सत्ता में आने के तत्काल बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जनता की समस्याओं का निस्तारण करने के लिए अपने सरकारी आवास पर जनता दरबार कार्यक्रम शुरू किया. बुधवार को सूबे के पश्चिमी जिलों से लेकर पूरब तक के तमाम जिलों से सैंकड़ो लोग अपनी छोटी-छोटी समस्याओं का निस्तारण कराने के लिए मुख्यमंत्री के जनता दरबार कार्यक्रम में पहुंचे थे. इनमें फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर का बावर्ची संतोष सिंह भी था. वाराणसी के छितौनी गांव में रहने वाले संतोष की जमीन उसके ही भाईयों ने बेच दी. संतोष ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कराई पर कुछ नहीं हुआ तो वह वाराणसी से साइकिल चलाता हुआ मुख्यमंत्री आवास पहुंच गया. संतोष की ही तरह कानपुर से मुख्यमंत्री आवास पहुंचे ध्रुवदास ने मुख्यमंत्री से बताया कि उन्नाव के सपा विधायक ने उनके आश्रम की जमीन पर कब्जा कर लिया है और डीएम तथा एसपी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. खैराबाद सीतापुर की ज्ञानदेई अपनी मां के अपहरण की शिकायत लेकर जनता दरबार में मुख्यमंत्री के पास पहुंचीं. आरोप था कि विधायक पुत्र शैलेंद्र ने उसकी मां का अपहरण कर जमीन का बैनामा करा लिया है. थाने में शिकायत लेकर पहुंचने के बाद भी पुलिस मामले से पल्ला झाड़ रही है.
प्रतापगढ़ निवासी संदीप द्विवेदी ने मुख्यमंत्री को बताया कि उसके दोनों हाथ 20 अगस्त 2011 को 11 केवी की बिजली लाइन टूटकर गिरने से कट गए थे. इस संबंध में डीएम ने मुआवजा देने की संस्तुति भी कर दी, लेकिन अभी तक धनराशि नहीं मिली. सोनभद्र के विकलांग आलेख कुमार ने भी अफसरों की उदासीनता मुख्यमंत्री को बतायी. आलेख की डेढ़ बीघा जमीन उसके भाई विजय ने जबरन अपने नाम करा ली. आलेख ने इसकी अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई. शाहजहांपुर के भर्रामई निवासी ओवेंद्र यादव व शीला यादव अपने चार वर्षीय पुत्र सोमबीर के अपहरण के मामले में पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई ना किए जाने की शिकायत मुख्यमंत्री से की. विजय नगर लखनऊ निवासी बलवंत कौर ने 1984 के दंगे में हुई क्षति का मुआवजा अब तक ना मिलने संबंधी दस्तावेज मुख्यमंत्री को दिए और उन्हें बताया कि इतने साल गुजरने के बाद भी उन्हें मदद नहीं मिली. वहीं कैंसर से पीड़ित पिता और आर्थिक तंगी से परेशान कानपुर की चंपा कुमारी मुख्यमंत्री के पास आर्थिक सहायता मांगे पहुंची थी. चंपा की मदद मंडलायुक्त कर सकते थे, पर उन्होंने उसकी शिकायत पर ध्यान ही नहीं दिया. इसके चलते चंपा मुख्यमंत्री के पास पहुंच गई.
मुख्यमंत्री के जनता दरबार में पहुंचे अधिकांश फरियादियों ने जो समस्याएं मुख्यमंत्री के समक्ष रखी थी, उनका निस्तारण जिलास्तर पर संभव था. फिर भी जिलों में तैनात बड़े से लेकर छोटे अफसरों ने फरियादियों की मदद नहीं की, उनकी शिकायतों का निस्तारण नहीं किया. जिसे देख सुन मुख्यमंत्री को जिलों में तैनात अफसरों की जनता के प्रति दिखाई जा रही उदासीनता का आभास हुआ. तो उन्होंने जनता दरबार पहुंची शिकायतों के निस्तारण में सुस्ती दिखाने वाले अफसरों की सूची तैयार करने का निर्देश अपने प्रमुख सचिव को दिया. कहा जा रहा कि मुख्यमंत्री का मानना है कि जनता की समस्याओं का त्वरित निस्तारण ना करके जिलों की नौकरशाही सरकार के लिए संकट खड़ा कर रही है. इसलिए ऐसे अफसरों को जिलों से हटाया जायेगा जो जनता की समस्याओं के निस्तारण में उदासीनता दिखाएंगे.
!!राजेन्द्र कुमार!!