नयी दिल्ली : अब सुरक्षा एजेंसियां आपके ई-मेल में तांक-झांक करेंगी. भारत ने व्यापक स्तर पर निगरानी कार्यक्रम लांच किया है. इसके तहत सुरक्षा एजेंसियां और यहां तक कि आयकर विभाग भी बिना किसी कोर्ट के आदेश के आपके ई-मेल व फोन कॉल्स टैप कर सकेंगे. सरकार का तर्कहै कि इस व्यापक निगरानी तंत्र से राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती मिलेगी.
वहीं निजता की वकालत करने वाले इसके विरोध में हैं. एक इंटरनेट शोधकर्ता के अनुसार अगर भारत अधिकारवादी देश के तौर पर नजर नहीं आना चाहता, तो उसे यह पारदर्शिता बरतनी चाहिए कि कौन सा डाटा लेने के लिए कौन अधिकृत होगा, क्या डाटा लिया जायेगा, उसका कैसे इस्तेमाल होगा और निजता की रक्षा कैसे होगी?
2011 में हुई थी घोषणा
केंद्रीय निगरानी प्रणाली (सीएमएस) की घोषणा 2011 में हुई थी. लेकिन, इस पर किसी प्रकार की कोई चर्चा नहीं की गयी. सरकार ने भी नहीं बताया है कि वह इसका दुरुपयोग कैसे रोकेगी. सरकार ने चुपके से अप्रेल से इसे लागू करना शुरू किया. इसमें देश के 90 करोड़ लैंडलाइन व मोबाइल फोन यूजर्स व एक करोड़ 20 लाख इंटरनेट यूजर्स में से किसी को भी टारगेट किया जा सकेगा. वहीं सरकार में इस पर कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं. एक अखबार के अनुसार संचार मंत्रालय की एक प्रवक्ता ने सीएमएस के बारे में कोई जानकारी नहीं दी.