चेन्नई : तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता की मुश्किलें बढ़ गई है. बेंगलुरु की अदालत के द्वारा चार साल की सजा सुनाये जाने के बाद उनका राजनीतिक करियर दांव पर लग गया है.
इस प्रकार के उतार चढ़ाव उन्होंने अपने जीवन में कई बार देखे हैं. तीन बार मुख्यमंत्री के पद पर आसीन रह चुकीं जयललिता ने अबतक 12 से ज्यादा मुकदमों का सामना किया है. किशोर वय में अभिनेत्री बनने से लेकर अन्नाद्रमुक के संस्थापक एम. जी. रामचंद्रन उर्फ एमजीआर की करीबी रह चुकीं जयललिता को 18 वर्ष पुराने भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराया गया है.
15 वर्ष की उम्र में फिल्मी कॅरियर शुरु करने वाली 66 वर्षीय मुख्यमंत्री के जीवन में अनेक उतार-चढाव आये. एक विद्यार्थी के तौर पर पढाई में उनकी काफी रुचि रही, इसके बाद वह तमिल की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री बनीं. जयललिता ने एमजीआर के साथ 28 फिल्मों में काम किया. एमजीआर तमिल सिनेमा के सुपरस्टार थे और भारतीय राजनीति के सम्मानित नेताओं में थे. उनके साथ जयललिता भी राजनीति में आ गईं.
एम. करुणानिधि नीत द्रमुक से टूटने के बाद एमजीआर ने अन्नाद्रमुक का गठन किया और जयललिता को 1983 में अपनी पार्टी का प्रचार सचिव नियुक्त किया और फिर राज्यसभा के लिए मनोनीत किया. उन्होंने अपने अंग्रेजी संवाद कौशल से प्रभावित किया. दोनों के बीच मतभेद की खबरें भी आईं लेकिन जयललिता ने 1984 में पार्टी के प्रचार अभियान का नेतृत्व किया जब एमजीआर बीमार पडे और अमेरिका में उनका इलाज चल रहा था.
वह दिसम्बर 1987 में पूरी तरह तब उभरकर सामने आईं जब एमजीआर का निधन हो गया. अन्नाद्रमुक संस्थापक की अंतिम यात्र के जुलूस में एमजीआर की पत्नी जानकी के समर्थकों ने जयललिता से कथित रुप से र्दुव्यवहार किया जिससे पार्टी में बिखराव हो गया.
जयललिता का धडा 1989 में विजयी रहा और पहली बार जयललिता राज्य विधानसभा के लिए चुनी गईं जहां वह विपक्ष की नेता बनीं. लेकिन बताया जाता है कि सत्तारुढ द्रमुक से जुडी एक घिनौनी घटना के कारण उन्होंने पार्टी के खिलाफ उग्र तेवर अपनाए. इसके बाद वह दोनों धडों को जोडने में सफल रहीं और तब से वह पार्टी की निर्विवाद नेता बनी हुई हैं.
वर्ष 1991 में उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और राजीव गांधी की हत्या के बाद चले सहानुभूति लहर से वह अभूतपूर्व बहुमत से सत्ता में आईं. बहरहाल 1991-96 का काल उनके लिए बुरा रहा जब उनकी विश्वस्त शशिकला के परिवार के कारण उन्हें काफी कुछ झेलना पडा. उनके दत्तक पुत्र वी. एन. सुधाकरन के भव्य शादी समारोह की काफी आलोचना हुई. 1996 के चुनावों में भ्रष्टाचार के व्यापक आरोप अन्नाद्रमुक के लिए घातक साबित हुए जब द्रमुक-टीएमसी गठबंधन ने विधानसभा चुनावों में शानदार जीत दर्ज की और जयललिता खुद ही अल्पज्ञात द्रमुक उम्मीदवार से हार गईं.
उन्हें 1996 में गिरफ्तार किया गया. उनके खिलाफ कई मामले दर्ज किये गये जिनमें आय के ज्ञात स्नेतों से अधिक संपत्ति इकट्ठा करने का मामला भी शामिल था. चुनावी हार को पीछे छोडते हुए उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन किया और अटल बिहारी वाजपेयी के समय राजग का हिस्सा बनीं. बहरहाल 1999 में विश्वास मत के दौरान सरकार गिराने के लिए वह बदनाम भी हुईं.
अन्नाद्रमुक की ‘आयरन लेडी’ ने राज्य स्तर पर 2001 के चुनावों में सत्ता में वापसी की. भले ही वह चुनाव नहीं लडीं लेकिन मुख्यमंत्री बन गईं और टीएएनएसआई भूमि घोटाले में दोषी ठहराए जाने के परिप्रेक्ष्य में उच्चतम न्यायालय ने उनकी नियुक्ति को खारिज कर दिया जिसके बाद उन्हें पद छोडना पडा. जयललिता ने अपने विश्वस्त ओ. पनीरसेल्वम को मुख्यमंत्री बनाया लेकिन प्रशासन की डोर अपने हाथों में रखीं.
टीएएनएसआई मामले में बरी होने के बाद जयललिता ने दिसम्बर 2001 में सत्ता में वापसी की और 2006 के चुनावों में वह फिर द्रमुक से पराजित हो गईं. वर्ष 2011 में उन्होंने द्रमुक के जीत की सारी संभावनाओं पर पानी फेरते हुए शानदार बहुमत से जीत हासिल की और सुनिश्चित किया कि उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी को मुख्य विपक्षी दल का दर्जा तक नहीं मिले. बरहाल 66 . 65 करोड रुपये के आय के ज्ञात स्नेत से अधिक संपत्ति मामले में उन्हें आज दोषी ठहराए जाने से उनके राजनीतिक कॅरियर को गहरा झटका लगा है.