नयी दिल्ली : चीन से पसरे कोरोना वायरस की दुनिया भर में फैले दहशत के बीच राजधानी में मंगलवार को तमाम वायरस के स्रोतों को समझने और उसके निदान के उपायों पर चर्चा के लिए तीन दिवसीय एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन किया गया. सम्मेलन में अमेरिका, फ्रांस, फिनलैंड, सऊदी अरब सहित 17 देशों के लगभग 300 की संख्या में वैज्ञानिक एवं प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. ‘इंडियन वायरोलॉजिकल सोसायटी’ द्वारा आयोजित इस सम्मेलन का उद्घाटन पद्म विभूषण सम्मान प्राप्त वैज्ञानिक प्रोफेसर पीएन टंडन ने किया.
‘इंडियन वायरोलॉजिकल सोसायटी’ (आईवीएस) के अध्यक्ष डॉ अनुपम वर्मा ने बताया कि तीन दिन की इस चर्चा में हम विभिन्न प्रकार के वायरस (विषाणुओं) पर चर्चा करेंगे. इस दौरान विभिन्न प्रकार के घातक विषाणुओं से उत्पन्न बीमारियों की रोकथाम और उपचार के क्षेत्र की उपलब्धियों पर भी चर्चा हो रही है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के बारे में भी बुधवार को एक सत्र में चर्चा होगी.
वर्मा ने कहा कि 21वीं सदी में दुनिया भर में वायरस को प्रकोप बढ़ा है. इस सम्मेलन का उद्देश्य ऐसे अवयव यानी उन स्रोतों की खोज करना है और उसके निदानकारी उपायों की खोज करना है, ताकि वायरस के प्रसार पर रोक लगाया जा सके तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य पर कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभाव न होने पाए.
उन्होंने यह भी कहा कि भारत में फिलहाल ऐसे किसी नये वायरस का विकस नहीं हुआ है, जिससे मानव, पशुधन, पौधों के स्वास्थ्य के लिए चिंता हो, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न देशों में कोरोना वायरस, सर्स, मर्स और कोरोना वायरस जैसे विषाणुओं की रोकथाम और उनके निदान के रास्तों पर और विस्तार तथा गंभीरता से विचार करने की जरुरत महसूस की जा रही थी.
उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस सम्मेलन ने इन चुनौतियों के निपटने के आगे के संभावित मार्गों पर कुछ प्रकाश अवश्य पड़ेगा. वर्मा ने कहा कि मवेशियों और पौधों में वायरस के प्रसार से मानव स्वास्थ्य, कृषि और अर्थव्यवस्था को चुनौती मिल रही है और उम्मीद है कि मौजूदा सम्मेलन इस चुनौती का हल खोजने और सुरक्षित विकल्प एवं निदान तलाशने की दिशा में प्रभावी साबित होगा.
उन्होंने कहा कि सम्मेलन में मानव, मवेशियों और पौधों के वायरस की चपेट में आने और वायरस के बदलते परिदृश्य विषय पर चर्चा होगी. सम्मेलन में कुछ ऐसे विषयों पर भी चर्चा होगी, जो मानव स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अहम हैं. इनमें मानव स्वास्थ्य संबंधी वायरस (कोरोना वायरस, हरपीज वायरस, डेंगू वायरस, इंफ्लुएंजा इत्यादि) मानव परवोवायरस के चिकित्सकीय प्रभाव आदि विषयों पर भी चर्चा की जायेगी.
सूत्रों के अनुसार, इस सम्मेलन में चीन के भी कुछ प्रतिनिधि आने वाले थे, लेकिन वे नहीं आये हैं. उन्होंने कहा कि संभवत: अपने देश में कोरोना वायरस की रोकथाम में व्यस्तता की वजह से वे यहां नहीं आ सके. हालांकि, सूत्रों ने यह बताने से इनकार किया कि सम्मेलन में चीन से कितने प्रतिनिधियों आने वाले थे.