नयी दिल्ली: कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने खराब स्वास्थ्य के कारण गोवा में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में भाग नहीं लेने वाले वरिष्ठ नेता एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के प्रति आज हमदर्दी दिखायी जबकि कई अन्य कांग्रेसी नेताओं ने उन पर चुटकी ली.
कांग्रेस के महासचिव सिंह ने ‘‘नाराज’’ 85 वर्षीय आडवाणी के अपने पूरे राजनीतिक जीवन में पहली बार कार्यकारिणी की बैठक में भाग नहीं लेने की पृष्ठभूमि भाजपा को ‘‘कृतघ्न’’ बताया.इससे पहले सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा था, ‘‘मेरा हृदय आडवाणी जी के लिए द्रवित है. उन्होंने भाजपा को लोकसभा में 2 सीटों से 182 सीटों तक पहुंचाया.
लेकिन अब कृतघ्न भाजपा मतभेदों की पार्टी है.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया जा सकता है तो सिंह ने कहा, ‘‘यह फैसला भाजपा को करना है.’’’ मोदी को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘‘मोदी को मेरी हार्दिक बधाई.’’ भाजपा के भीतर अंदरुनी मतभेदों पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा कि भाजपा जब अपने 10 नेताओं को एक साथ नहीं रख सकती है तो कैसे वे सरकार में मंत्रियों को साथ मिलकर काम करने के लिए रख पाएंगे.
पार्टी प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा, ‘‘मोदी की अपील गुजरात तक सीमित है. हमने कर्नाटक के चुनावों में उनके प्रचार के खोखलेपन को देखा है. वह उन लोगों में लोकप्रिय हैं जो सांप्रदायिक राजनीति और सांप्रदायिक व्यक्तित्व को पसंद करते हैं. लेकिन इस तरह की राजनीति भारत के लोकाचार के खिलाफ है. आम जनता मोदी जैसे लोगों की सांप्रदायिक राजनीति की सराहना नहीं करती है.’’ साथ ही, उन्होंने कहा कि यह भाजपा का आंतरिक मामला है कि वह किसे प्रचार समिति का अध्यक्ष नियुक्त करे या संसदीय बोर्ड का प्रमुख नियुक्त करे.
आडवाणी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता ‘वही काट रहे हैं, जो उन्होंने बोया है.
’ अहमद ने कहा, ‘‘आडवाणी अपनी करनी का फल भुगत रहे हैं. उन्होंने ही भारत में 1985-86 के बाद सांप्रदायिक राजनीति शुरु की थी. अब मोदी ने खुद को आडवाणी से भी ज्यादा सांप्रदायिक व्यक्ति के तौर पर पेश किया है और यही कारण है कि भाजपा के सर्वाधिक वरिष्ठ नेता को अब दरकिनार कर दिया गया है.’’
अहमद ने कहा, ‘‘जो आप बोते हैं, वही काटते हैं. उन्होंने भारतीय राजनीति में सांप्रदायिकता का बीजारोपण किया. अब अधिक सांप्रदायिक व्यक्ति ने उनकी जगह ले ली है.’’ माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘आडवाणी ने अपने ब्लॉग में संकेत दिया है कि आपको अपने जीवन में ही अपने पापों का फल भुगतना होगा. क्या वह 2002 में मोदी को बचाने में अपनी भूमिका पर पछता रहे हैं.’’ ऐसा समझा जाता है कि गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के बाद मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर बनाए रखने का आडवाणी ने समर्थन किया था.
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