नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर प्रशासन को निर्देश दिया कि वह टेलीकॉम और इंटरनेट सेवाओं को स्थगित किये जाने समेत पाबंदियों से जुड़े सभी आदेशों का प्रकाशन करें जिससे प्रभावित लोग इन्हें उच्च न्यायालय या उचित मंच के समक्ष चुनौती दे सकें.
अदालत ने पाया कि यद्यपि उसके सामने जम्मू-कश्मीर के विभिन्न प्राधिकारों द्वारा आवाजाही, संचार पर लगायी गयी पाबंदियों की वैधता को लेकर सवाल आये हैं, लेकिन उसके सामने इनसे जुड़े आदेश नहीं रखे गये हैं. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का जहां दावा है कि उनके पास आदेश उपलब्ध नहीं हैं, अधिकारियों ने उस सभी को अदालत के सामने लाने में होने वाली दिक्कत का उल्लेख करते हुए सिर्फ नमूना आदेश रखे हैं.
न्यायमूर्ति एनवी रमन की अध्यक्षा वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अपने 130 पन्नों के फैसले में कहा, राज्य ने शुरू में जहां विशेषाधिकार का दावा किया, उसने बाद में यह दावा छोड़कर कुछ नमूना आदेश पेश किये और अदालत के समक्ष सभी आदेश पेश करने में आने वाली दिक्कतों का उल्लेख किया. हमारी राय में अदालत के समक्ष आदेश प्रस्तुत करने से इनकार करने का यह उचित आधार नहीं है. न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बीआर गवई भी इस पीठ के सदस्य हैं.
पीठ ने कहा, प्रतिवादी राज्य/सक्षम प्राधिकार को यह निर्देश दिया जाता है कि सभी प्रभावी आदेशों और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत भविष्य के आदेशों और इंटरनेत पर रोक समेत दूरसंचार सेवाओं के निलंबन समेत सभी आदेशों का प्रकाशन करें जिससे प्रभावित व्यक्ति इसे उच्च न्यायालय या उचित मंच के समक्ष चुनौती दे सकें.