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बना इतिहास: तीन तलाक अब अपराध, तीन साल तक की हो सकती है सजा, जानें विधेयक के प्रावधान

बिल को संसद की मंजूरी, राष्ट्रपति की मुहर का इंतजारनयी दिल्ली : मुस्लिम महिलाओं को एक बार में तीन तलाक (तलाक -ए -बिद्दत) देने की प्रथा को अपराध बनानेे के प्रावधान वाले विधेयक को लेकर संसद ने इतिहास रचा है. लोकसभा के बाद मंगलवार को राज्यसभा से भी यह विधेयक पास हो गया़ विधेयक के […]

बिल को संसद की मंजूरी, राष्ट्रपति की मुहर का इंतजार
नयी दिल्ली :
मुस्लिम महिलाओं को एक बार में तीन तलाक (तलाक -ए -बिद्दत) देने की प्रथा को अपराध बनानेे के प्रावधान वाले विधेयक को लेकर संसद ने इतिहास रचा है. लोकसभा के बाद मंगलवार को राज्यसभा से भी यह विधेयक पास हो गया़ विधेयक के पक्ष में 99 और खिलाफ में 84 वोट पड़े. अब इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जायेगा. इसके बाद विधेयक 21 फरवरी को लाये गये अध्यादेश का स्थान लेगा. इस मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक में एक बार में तीन तलाक को गैर कानूनी बनाते हुए तीन साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है. मोदी सरकार पहली बार सत्ता में आने के बाद से ही इसे पारित कराने की कोशिश में जुटी थी.

पिछली लोकसभा में पारित होने के बाद यह राज्यसभा में अटक गया था, जिसके बाद सरकार इसके लिए अध्यादेश लेकर आयी थी. इस बार राज्यसभा में बीजद के समर्थन और सत्तारूढ़ राजग के घटक जदयू व अन्नाद्रमुक के वाक आउट के चलते सरकार राज्यसभा में इस विधेयक को पारित कराने में सफल हो गयी. इससे पहले उच्च सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के विपक्षी सदस्यों द्वारा लाये गये प्रस्ताव को 84 के मुकाबले 100 मतों से खारिज कर दिया.

विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय विधि व न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एक प्रसिद्ध न्यायाधीश आमिर अली ने 1908 में एक किताब लिखी. इसके अनुसार तलाक -ए -बिद्दत का पैगंबर मोहम्मद साहब ने भी विरोध किया है. उन्होंने शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार द्वारा लाये गये विधेयक का जिक्र करते हुए कहा कि मैं नरेंद्र मोदी सरकार का कानून मंत्री हूं, राजीव गांधी सरकार का कानून मंत्री नहीं हूं. उन्होंने कहा कि यदि मंशा साफ हो, तो लोग बदलाव की पहल का समर्थन करने को तैयार रहते हैं. जब इस्लामिक देश अपने यहां अपनी महिलाओं की भलाई के लिए बदलाव की कोशिश कर रहे हैं, तो हम तो एक लोकतांत्रिक व धर्मनिरपेक्ष देश हैं.

हमें यह काम क्यों नहीं करना चाहिए? तीन तलाक से प्रभावित होने वाली करीब 75 प्रतिशत महिलाएं गरीब वर्ग की होती हैं. ऐसे में यह विधेयक उनको ध्यान में रख कर बनाया गया है. हम सबका साथ सबका विकास व सबका विश्वास में भरोसा करते हैं. इसमें हम वोटों के नफा-नुकसान पर ध्यान नहीं देंगे. मुस्लिम समाज को पीछे नहीं छोड़ेंगे.

जदयू, एआइडीएमके और टीआरएस ने किया वाकआउट
243 सदस्यीय सदन में वोटिंग के वक्त 183 सांसद मौजूद थे. 58 सांसदों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. एआइडीएमके के 11, जदयू के छह व टीआरएस के सांसदों ने वाकआउट किया. शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल, केटीएस तुलसी भी सदन में मौजूद नहीं थे. पीडीपी, बीएसपी के सांसदों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया़ समाजवादी पार्टी के कुछ सांसद भी अनुपस्थित रहे. बेनी प्रसाद वर्मा, राम जेठमलानी व अरुण जेटली स्वास्थ्य कारणों से मतदान से दूर रहे. वहीं, मतदान से ठीक पहले कांग्रेस के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा की सदस्यता छोड़ दी. इस तरह विपक्षी एकता तार-तार हो गयी़ सत्ता पक्ष ने तीन तलाक विधेयक को मंजूरी दिलाने के लिए एक-एक सांसद को गणना में रखा. बीजद व जदयू से समर्थन लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ओड़िशा के सीएम और बिहार के सीएम से बात की़ राज्यसभा में यह दूसरा मौका है, जब सरकार ने संख्या बल अपने पक्ष में नहीं होने के बावजूद विधेयक को पारित करवाया. इससे पहले विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद आरटीआइ विधेयक को पारित करवाने में सफल रही थी.

विधेयक में प्रावधान

पति पत्नी को मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रॉनिक रूप से एक बार में तीन तलाक देता है, तो वह अवैध

तीन तलाक देनेवाले पति को तीन साल तक की सजा, जेल के साथ जुर्माना भी

पीड़िता पति से खुद व संतानों के लिए गुजारा भत्ता प्राप्त पाने की हकदार होगी, रकम मजिस्ट्रेट निर्धारित करेंगे

पीड़िता खुद या रिश्तेदार एफआइआर दर्ज करवाता है, तो बिना वारंट की गिरफ्तारी

मजिस्ट्रेट पत्नी का पक्ष जानने के बाद आरोपित को जमानत दे सकते है़

फैसला होने तक बच्चा मां के संरक्षण में रहेगा, मजिस्ट्रेट को सुलह कराकर शादी कायम रखने का अधिकार होगा

तुष्टीकरण के नाम पर देश की करोड़ों माताओं-बहनों को उनके अधिकार से वंचित रखने का पाप किया गया़ मुझे इस बात का गर्व है कि मुस्लिम महिलाओं को उनका हक देने का गौरव हमारी सरकार को प्राप्त हुआ है.
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

तीन तलाक के मामले में तीन साल की सजा का प्रावधान ठीक उसी तरह है, जैसे किसी को अपमानित करने के जुर्म में जेल भेज दिया जाए. इसलिए हम इस विधेयक को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजना चाहते थे.
गुलाम नबी आजाद , कांग्रेस

एक मुस्लिम आइटी पेशेवर ने मुझसे कहा कि तीन बेटियों के जन्म के बाद उसके पति ने उसे एसएमएस से तीन तलाक कह दिया है़ एक कानून मंत्री के नाते मैं उससे क्या यह कहता कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को मढ़वा कर रख लो और अवमानना का केस करो?‍
रविशंकर प्रसाद, विधि व न्याय मंत्री

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