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जानिए क्या है ‘ट्रिपल तलाक’ या तलाक ए बिद्दत जिसपर मचा है हंगामा…

देश में एक बार फिर ‘ट्रिपल तलाक’ या तलाक ए बिद्दत पर चर्चा तेज हो गयी है, कारण है यह है कि आज ट्रिपल तलाक के खिलाफ बिल राज्यसभा में पेश किया गया. लोकसभा ने इस बिल को पास कर दिया है. लोकसभा ने बिल को तीन बार पास किया है, लेकिन मामला जाकर राज्यसभा […]

देश में एक बार फिर ‘ट्रिपल तलाक’ या तलाक ए बिद्दत पर चर्चा तेज हो गयी है, कारण है यह है कि आज ट्रिपल तलाक के खिलाफ बिल राज्यसभा में पेश किया गया. लोकसभा ने इस बिल को पास कर दिया है. लोकसभा ने बिल को तीन बार पास किया है, लेकिन मामला जाकर राज्यसभा में फंस जाता है, जिसके कारण आजतक यह बिल कानून का रूप नहीं ले पाया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने ‘ट्रिपल तलाक’ को वर्ष 2017 में ही असंवैधानिक करार दिया था और सरकार को ताकीद की थी कि वह छह माह के अंदर इसके खिलाफ कानून बनाये. लेकिन जब भी संसद में बिल आया तो विपक्ष के साथ-साथ कई राजनीतिक दलों ने इसका यह कहकर विरोध किया कि यह धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप है और इससे मुस्लिम समाज में कई तरह की परेशानियां खड़ी हो सकती हैं. वहीं सरकार इसे महिला सशक्तीकरण से जोड़कर अहम मुद्दा बता रही है, ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि आखिर क्या है ‘ट्रिपल तलाक’ जिसपर इतना हंगामा मचा है. सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि सरकार तलाक के खिलाफ कानून नहीं ला रही है, बल्कि वह ‘ट्रिपल तलाक’ के खिलाफ कानून ला रही है, जिसे इस्लाम के खिलाफ बताया जाता है.

इस्लाम के जानकारों का मानना है कि ‘ट्रिपल तलाक’ या तलाक ए बिद्दत का प्रावधान इस्लाम में नहीं है. इस्लाम में तलाक़ अल सुन्नाम का जिक्र है जिसके जरिये तलाक दिया जा सकता है. लेकिन एक बार तलाक बोलने से तलाक नहीं हो जाता है, पति-पत्नी को समझौते के लिए समय दिया जाता है और फिर एक माह बाद फिर तलाक बोला जाता है, लेकिन अगर उसके बाद भी समझौते की गुंजाइश ना बन पाये, तो तलाक हो सकता है. ‘ट्रिपल तलाक’या तलाक ए बिद्दत का प्रावधान इस्लाम में नहीं है इसे व्यवहार में गलत तरीके से ले आया गया है और आजकल इसका दुरुपयोग कर महिलाओं को कभी मैसेज के जरिये, तो कभी फोन पर तलाक देने की घटनाएं हुई हैं. इस्लाम के अनुसार तलाक के तीन महीने बाद भी बीवी ससुराल में रह सकती है. उसे कोई नहीं निकाल सकता है.

किन देशों में है ‘ट्रिपल तलाक’ पर बैन

ट्रिपल तलाक पर विश्व के अधिकांश वैसे देशों ने प्रतिबंध लगा रखा है, जहां मुसलमानों की संख्या ज्यादा है या फिर जिनका जन्म धर्म के आधार पर हुआ है. इन देशों में प्रमुख है पाकिस्तान, बांग्लादेश, तुर्की, साइप्रस, मिस्र, ट्‌यूनेशिया, इंडोनेशिया, इराक एवं श्रीलंका प्रमुख हैं. पाकिस्तान जैसे देश में भी प्रथागत ‘ट्रिपल तलाक’ पर 1961 में पाबंदी लगा दी गयी थी.

हिंदू धर्म की तरह इस्लाम में नहीं हुआ सुधारवादी आंदोलन

भारत में हिंदू धर्म में व्याप्त कई तरह की कुप्रथाओं के खिलाफ कई सुधारवादी आंदोलन हुए जिनके कारण सती प्रथा, बाल विवाह, बहुविवाह और जातिप्रथा को समाप्त करने की कोशिश की गयी, लेकिन मुसलमानों की अगर बात करें तो इस समाज में सुधारवादी आंदोलन तो हुए लेकिन प्रभाव नहीं डाल पाये नतीजा सिफर ही रहा. परिणाम यह हुआ कि ट्रिपल तलाक जैसी कुप्रथा समाज में मौजूद रही.

मॉडल निकाहनामे पर अबतक नहीं बनी बात

मोदी सरकार जब ‘ट्रिपल तलाक’ बिल लेकर आयी तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का ने यह कहा कि वह तीन तलाक़ यानी तलाके बिद्दत को रोकने के लिए मॉडल निकाहनामा लायेगी, जिसमें विवाद के समस्त पहलुओं पर विचार किया जायेगा. मुसलमानों में निकाह का एक दस्तावेज होता है, जिसपर मेहर की रकम का जिक्र होता है, इसे में अगर मॉडल निकाहनामे में ही यह करार कर लिया जाये कि पति अपनी पत्नी को ‘ट्रिपल तलाक’ नहीं देगा तो इसपर रोक लगाना आसान होगा लेकिन अबतक यह संभव नहीं हो पाया है.

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