नयी दिल्ली : सूरत बम विस्फोट मामले में 11 आरोपियों पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट के इस फैसले से गुजरात सरकार को बड़ा झटका लगा है.सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पहले टाडा कोर्ट ने सभी आरोपियों को दोषी करार देते हुए पांच आरोपियों को दस साल की सजा सुनायी थी. टाडा कोर्ट के इस फैसले के बाद आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और बरी हो गए. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार की उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें गुजरात सरकार ने दोषियों की सजा बढ़ाने और कुछ आरोपियों को बरी करने के फैसले को चुनौती दी थी.
सूरत में हुए थे दो ब्लास्ट
1993 में गुजरात के सूरत में दो बम विस्फोट हुए थे. पहला विस्फोट 21 जनवरी 1993 को सूरत के वराछा इलाके में हुआ था. इस विस्फोट में कई लोग घायल हुए थे. दूसरा बम विस्फोट सूरत रेलवे स्टेशन पर हुआ था. बम विस्फोट में एक महिला की मौत हो गई थी, जबकि कई अन्य घायल हो गए थे. गुजरात सरकार ने इस मामले की जांच करते हुए 11 आरोपियों पर केस चलाया था.
क्या था आरोप
इन दोषियों पर आरोप था कि उन्होंने इस धमाके में इस्तेमाल बम और अन्य उपकरणों को लाने के लिए सरकारी वाहन का इस्तेमाल किया था. इन दोषियों में गुजरात के पूर्व कांग्रेसी मंत्री मोहम्मद सुर्ती भी हैं. मोहम्मद सुर्ती को इन धमाकों की साजिश में शामिल होने के लिए टाडा अदालत ने 20 सालों की सजा सुनाई थी.
क्या है पूरा मामला
1993 में सूरत में दो बम धमाके हुए थे. पहला धमाका 21 जनवरी 1993 को सूरत के वराछा इलाके में हुआ था. दूसरा बम धमाका सूरत रेलवे स्टेशन पर हुआ था. धमाके में एक छात्रा की मौत हो गयी थी,जबकि 30 लोग घायल हो गये थे. धमाका एक्सप्रेस ट्रेन को निशाना बनाने के मकसद से किया गया था. खबर थी कि धमाके अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराए जाने का बदला लेने के लिए किए गए थे. इस मामले में टाडा कोर्ट ने सभी आरोपियों को दोषी करार देते हुए अलग-अलग सजा सुनाई थी.