नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने लोकसभा चुनाव की 23 मई को होने वाली मतगणना के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के आंकड़ों के साथ वीवीपैट मशीनों की पर्चियों का शत प्रतिशत मिलान करने की मांग वाली जनहित याचिका मंगलवार को खारिज कर दी.
न्यायमूर्तिज्रुण मिश्र और न्यायमूर्ति एमआर शाह की अवकाश पीठ ने चेन्नै स्थित संगठन ‘टेक 4 आॅल’ की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. पीठ ने कहा कि पहले ही प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक बड़ी पीठ इस मामले पर विचार करके आदेश पारित कर चुकी है. पीठ ने कहा, प्रधान न्यायाधीश इस मामले का निस्तारण कर चुके हैं. दो न्यायाधीशों की अवकाश पीठ के समक्ष आप जोखिम क्यों ले रहे हैं. न्यायमूर्ति मिश्र ने कहा, हम प्रधान न्यायाधीश का आदेश दरकिनार नहीं कर सकते हैं. यह बकवास है. यह याचिका खारिज की जाती है. इससे पहले शीर्ष अदालत ने सात मई को 21 विपक्षी दलों की पुनर्विचार समीक्षा याचिका खारिज कर दी थी.
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई में विपक्षी दलों की ओर से दायर इस याचिका में वीवीपैट पर्चियों के साथ ईवीएम के आंकड़ों का मिलान बढ़ा कर 50 फीसदी किये जाने की मांग की गयी थी. उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक दलों के साथ ही मतदाताओं को भी अधिक आश्वस्त करने के लिए आठ अप्रैल को अपने फैसले में निर्वाचन आयोग को मतगणना के दिन प्रत्येक विधानसभा के पांच मतदान केंद्रों के ईवीएम और वीवीपैट का मिलान करने का निर्देश दिया था. अभी तक प्रत्येक विधान सभा के एक मतदान केंद्र पर ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों का औचक मिलान किया जाता था. याचिका दायर करने वाले इस संगठन का कहना था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में लगायी गयी ईवीएम का पहली बार इस्तेमाल हो रहा है और देश भर में इनमें गड़बड़ी की खबरे मिली हैं.
याचिका में कहा गया था कि लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण तक 303 संसदीय क्षेत्रों में से 49 में इन मशीनों के ठीक से काम नहीं करने की शिकायतें मिली थीं. इस संबंध में याचिका में कहा गया कि ओड़िशा और गोवा में ईवीएम और वीवीपैट के ठीक से काम नहीं करने का पता चला था. याचिका में कहा गया था ओड़िशा में तो संसदीय सीट के निमित्त लायी गयी वीवीपैट मशीन को गलती से विधानसभा क्षेत्र के लिए कंट्रोल यूनिट और बैलेट यूनिट से जोड़ दिया गया था और 22 मत पड़ जाने के बाद इस गलती का पता चला था. इसी तरह, गोवा में तो मतदान के पूर्वाभ्यास के दौरान एक मतदान एजेंट की शिकायत के बाद ईवीएम का पूरा सेट बदलना पड़ा था.