- चुनाव जितना मैदान में लड़ा जा रहा है, उतना ही पार्टियों के एयरकंडीशंड दफ्तरों में विश्लेषक भी लड़ रहे
- बूथ के हर मतदाता का आंकड़ा उपलब्ध है कांग्रेस अध्यक्ष के मोबाइल पर
- प्रियंका का असर: यूपी में एक माह में ढाई लाख कार्यकर्ता बनाये गये
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कांग्रेस का डाटा रूम : आंकड़ों के शस्त्र से भी लड़ा जा रहा है लोकसभा चुनाव
चुनाव जितना मैदान में लड़ा जा रहा है, उतना ही पार्टियों के एयरकंडीशंड दफ्तरों में विश्लेषक भी लड़ रहे बूथ के हर मतदाता का आंकड़ा उपलब्ध है कांग्रेस अध्यक्ष के मोबाइल पर प्रियंका का असर: यूपी में एक माह में ढाई लाख कार्यकर्ता बनाये गये नयी दिल्ली : मौजूदा लोकसभा चुनाव जितना मैदान में लड़ा […]
नयी दिल्ली : मौजूदा लोकसभा चुनाव जितना मैदान में लड़ा जा रहा है, उतना ही एयरकंडीशंड दफ्तरों में बैठे आंकड़ों से खेलने वाले विश्लेषकों द्वारा भी. कांग्रेस मुख्यालय के एक कोने में डाटा एनालिसिस सेल, पार्टी के चुनाव अभियान का केंद्र बिंदु है. तमिलनाडु के प्रवीण चक्रवर्ती इसके मुखिया हैं.
किस लोकसभा चुनाव क्षेत्र के किस विधानसभा एरिया में किस पोलिंग बूथ पर किस धर्म के कितने लोग हैं, किस जाति के कितने मतदाता है? हर मतदाता का आर्थिक स्तर क्या है? क्या वह पक्के मकान में रहता है या कच्चे में ? नौकरी करता है या व्यापार या फिर व किसान है? उसके परिवार में कितने लोग हैं? इनमें से मतदाता कितने हैं? इन सामान्य प्रश्नों के जवाब आसानी से मिल सकते हैं, लेकिन उनकी टीम यह भी पता लगाती है कि उस पोलिंग बूथ पर पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में किसे कितने वोट मिले थे. किस जाति के ज्यादा वोट किस दल को गये थे और क्या मुद्दे थे?
किस जाति-धर्म के लोगों से क्या कहना है, ‘पीस’ रूम में सब कुछ मालूम हो जाता है
हर पार्टी का एक वॉर रूम होता है. कांग्रेस का भी दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज रोड स्थित एक बंगले में वॉर रूम बना है. हालांकि, चक्रवर्ती इसे वॉर रूम की जगह कंट्रोल रूम या पीस रूम कहना ज्यादा पसंद करते हैं. हर बूथ से यहां लगातार फीडबैक आता रहता है.
जनता में किस नारे का या किस मुद्दे का कितना असर है और कहां पर क्या करने की जरूरत है. उनके फीडबैक के आधार पर चक्रवर्ती की टीम अपनी डेटाबेस से क्रॉस चेक करके जमीन पर मौजूद कार्यकर्ताओं को निर्देश देते हैं कि वहां उन्हें प्रदर्शन करना चाहिए, रैली करनी चाहिए या किसी बड़े नेता की जनसभा करानी चाहिए या घर-घर जाकर प्रचार करना चाहिए.
एक-एक परिवार का विवरण
प्रवीण की कंप्यूटर स्क्रीन पर हर लोस क्षेत्र की बूथ वार जानकारी दिखती है. यूपी के एक लोकसभा क्षेत्र के नाम पर क्लिक करते ही उस बूथ पर कुल कितने परिवार रहते हैं? परिवार के मुखिया का नाम, धर्म, जाति, व्यवसाय, कुल सदस्य, कितने मतदाता, पुरुष, महिला जैसी जानकारी सामने आ जाती है.
‘न्याय’ के पांच करोड़ परिवार
न्यूनतम आय योजना (न्याय) को बनाने वाले थिंक टैंक के सदस्य चक्रवर्ती हंस कर कहते हैं, क्या आप अब भी मुझसे पूछेंगे कि हम उन पांच करोड़ परिवारों का पता कैसे लगायेंगे, जिन्हें न्याय योजना का लाभ मिलना है. चक्रवर्ती का दावा है कि पिछले दो माह के दौरान उत्तर प्रदेश में बूथ स्तर के ढाई लाख कार्यकर्ता कांग्रेस में शामिल हुए हैं. यह मुख्य रूप से प्रियंका गांधी के पार्टी महासचिव बनने का असर है.
डाटा पहुंचता है राहुल तक
डाटा एनालिटिक्स सेल के कंप्यूटर में जो भी जानकारी है वह पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के मोबाइल स्क्रीन पर कभी भी देखी जा सकती है. वे पार्टी के शीर्ष नेताओं के सतत संपर्क में रहते हैं. शीर्ष नेतृत्व में जिसे कोई भी जानकारी चाहिए होती है, वह प्रवीण चक्रवर्ती से ही संपर्क करता है.
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