श्रीनगर/नयी दिल्ली : नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि जम्मू कश्मीर में पांच साल के बाद चुनाव करवा पाना कश्मीर के हालात से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निबटने का परीक्षण होगा.
उमर ने कश्मीर को जमीन और स्थायी निवास पर विशेष दर्जा देनेवाले अनुच्छेद 35A को खत्म किये जाने की अटकलों के बीच केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि केंद्र सरकार ऐसा फैसला करती है तो घाटी में अरुणाचल प्रदेश से भी खराब हालात हो जायेंगे. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. गौरतलब है कि 35A का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और 26 से 28 फरवरी के बीच इस पर सुनवाई होने की संभावना है.
अब्दुल्ला ने टि्वटर पर कहा, क्या मोदी सरकार अलगावावादी ताकतों और आतंकियों के सामने घुटने टेकेगी जो जम्मू कश्मीर में हमेशा से ही चुनावों में बाधा और देरी पहुंचाते हैं या फिर चुनाव निर्धारित समय पर ही होंगे? यह समय प्रधानमंत्री मोदी के लिए बीते पांच वर्षों में कश्मीर को संभालने की परख का है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उन मीडिया रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे जिनमें कहा गया था कि भारत के निर्वाचन आयुक्त इस बात का फैसला करेंगे कि क्या राज्य में लोकसभा चुनावों के साथ राज्य के चुनावों भी कराया जाये. अब्दुल्ला ने कहा कि एक बार को छोड़कर राज्य में 1995-96 से चुनाव निर्धारित अवधि में होते रहे हैं.
उमर अब्दुल्ला ने कहा, केंद्र सरकार और राज्यपान की जिम्मेदारी प्रदेश में चुनाव करवाने भर की है. इसलिए चुनाव ही करायें, लोगों को फैसला लेने दें. नयी सरकार खुद ही अनुच्छेद 35A को सुरक्षित बनाने की दिशा में काम करेगी. यह समय प्रधानमंत्री मोदी के लिए बीते पांच वर्षों में कश्मीर को संभालने की परख का है. जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 35A की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट इसी हफ्ते सुनवाई करेगा. शीर्ष अदालत ने 26-28 फरवरी के बीच मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है. सूत्रों के अनुसार, मोदी सरकार आम चुनाव से पहले अनुच्छेद 35A पर कड़ा स्टैंड अपना सकती है. आर्टिकल 370 को हटाना भाजपा का हमेशा से राजनीतिक स्टैंड भी रहा है. हालांकि, भाजपा की सहयोगी जदयू और अकाली दल इसका विरोधी रही हैं.
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार अगर ऐसा कोई कदम उठाती है तो यहां हालात बहुत खराब हो जायेंगे. उमर ने कहा, यह कोई धमकी नहीं हैं. मैं सिर्फ स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि इसे धमकी न समझा जाये, यह चेतावनी है. अनुच्छेद 35A के साथ छेड़छाड़ किया गया तो यहां अरुणाचल प्रदेश से भी खराब हालात हो जायेंगे. अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को राज्य के स्थायी नागरिक की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है. राज्य में 14 मई 1954 को इसे लागू किया गया था. यह अनुच्छेद संविधान में मूल रूप में नहीं था. प्रदेश के स्थायी नागरिक को कुछ विशेष अधिकार होते हैं. गौरतलब है कि अनुच्छेद 35A के तहत जम्मू-कश्मीर में वहां के मूल निवासियों के अलावा देश के किसी दूसरे हिस्से का नागरिक कोई संपत्ति नहीं खरीद सकता है. इससे वह वहां का नागरिक भी नहीं बन सकता है.