नयी दिल्ली : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और बीजू जनता दल (बीजद) के सदस्यों ने शुक्रवार को लोकसभा में महिला आरक्षण का मुद्दा उठाया तथा सरकार से आग्रह किया कि मौजूदा शीतकालीन सत्र में यह विधेयक पारित कराया जाये.
शून्यकाल के दौरान माकपा की पीके श्रीमती टीचर ने महिला आरक्षण का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस मुद्दे पर सरकार का रुख निराशाजनक है, जबकि भाजपा ने अपनी चुनावी घोषणापत्र में वादा किया था कि वह संसद एवं विधानसभाओं में महिलाओं को 33फीसदी आरक्षण दिलाने के लिए विधेयक पारित करायेगी. उन्होंने कहा कि इस सरकार को बने साढ़े चार साल से ज्यादा का समय बीत गया, लेकिन कुछ नहीं किया गया. टीचर ने कहा कि मौजूदा समय में लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 11.7 फीसदी और राज्यसभा में 11.4 फीसदी है तथा राज्य विधानसभाओं में भी यही असंतुलन है. ऐसे में महिला आरक्षण विधेयक संसद में तत्काल पेश किया किया जाये और पारित कराया जाये.
बीजद के बी महताब ने भी टीचर का समर्थन किया और कहा कि सरकार को इसी सत्र में विधेयक लाना चाहिए. तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के जितेंद्र रेड्डी ने भी महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने की मांग का समर्थन किया. भाजपा के विद्युत महतो ने झारखंड में बोली जानेवाली ‘हो’ भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किये जाने की मांग की. अकाली दल के प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने पंजाब में किसानों को आलू का उचित दाम नहीं मिलने का मुद्दा उठाया और कहा कि आलू एवं बासमती को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लाया जाना चाहिए ताकि किसानों को लाभ मिल सके.
भाजपा के गोपाल शेट्टी ने मुंबई में फेरीवालों को पेश आ रही परेशानियों का मुद्दा उठाया. भाजपा के जुगल किशोर शर्मा ने जम्मू-कश्मीर में रहनेवाले पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों के बच्चों को छात्रवृत्ति तथा दूसरी सुविधाएं प्रदान करने की मांग की. आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने केरल की भयावह बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुए सबरीमाला मंदिर के बुनियादी ढांचे को ठीक करने के लिए केंद्र से वित्तीय सहायता की मांग की. कांग्रेस के विंसेट पाला, शिवसेना के रवींद्र गायकवाड, बीजद के रवींद्र कुमार जेना, भाजपा के प्रवेश वर्मा और भैरो प्रसाद मिश्रा ने भी अपने राज्य अथवा क्षेत्र से जुड़े मुद्दे उठाये.