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छत्तीसगढ़ में कांग्रेस इस वजह से कर पायी भाजपा का सूपड़ा साफ

रायपुर : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस यदि भाजपा का सूपड़ा साफ कर पायी तो इसका सबसे बड़ा कारण आदिवासी, अनुसूचित जाति वर्ग है. जी हां, आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को आदिवासी और अनुसूचित जाति वर्ग का भरपूर सहयोग मिला जिसके कारण वह सूबे में 68 सीट जीतने में कामयाब रही. राज्य की 90 विधानसभा सीटों […]

रायपुर : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस यदि भाजपा का सूपड़ा साफ कर पायी तो इसका सबसे बड़ा कारण आदिवासी, अनुसूचित जाति वर्ग है. जी हां, आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को आदिवासी और अनुसूचित जाति वर्ग का भरपूर सहयोग मिला जिसके कारण वह सूबे में 68 सीट जीतने में कामयाब रही. राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 29 सीट अनुसूचित जनजाति के लिए तथा 10 सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं.

इस वर्ष हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने इन सीटों पर बड़ी जीत हासिल की है. कांग्रेस ने अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 29 सीटों में से 25 सीटों पर तथा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 10 में से सात सीटों पर जीत हासिल की है. प्रदेश में अनसूचित जनजाति की संख्या लगभग 32 फीसदी है और राज्य के दोनों प्रमुख दलों भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस ने इन सीटों पर जीत के लिए कोशिश की थी.

राज्य के उत्तरी क्षेत्र सरगुजा और दक्षिण क्षेत्र बस्तर में सबसे अधिक अदिवासी सीटें हैं. ऐसा माना जाता है कि राज्य में इन सीटों पर जीत के माध्यम से ही सत्ता तक पहुंचा जा सकता है. हालांकि वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में 29 में से 18 सीटों पर जीत के बाद भी कांग्रेस सत्ता से दूर थी. लेकिन इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने 29 में से 25 सीटें जीती हैं. भाजपा ने वर्ष 2013 के चुनाव में जहां अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 11 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं इस बार के चुनाव में केवल तीन सीट ही जीत सकी है. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने आरक्षित मरवाही सीट पर विजय प्राप्त की है. मरवाही सीट से पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी विजयी हुए हैं.

छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर विजय को सत्ता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. वर्ष 2008 के चुनाव में भाजपा ने राज्य में 50 सीटों पर विजय प्राप्त की थी और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 29 सीटों में से 19 सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाई थी। तब कांग्रेस को इन सीटों में से केवल 10 सीटों पर ही जीत मिली थी. लेकिन इस वर्ष हुए चुनाव में राज्य में भाजपा के कई वरिष्ठ आदिवासी नेता चुनाव हार गए। इस चुनाव में बीजापुर सीट से वन मंत्री महेश गागड़ा, नारायणपुर सीट से स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप और प्रतापपुर सीट से गृहमंत्री रामसेवक पैकरा को हार का सामना करना पड़ा है.

इसी तरह इस चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर भी कांग्रेस को जीत मिली है. कांग्रेस ने 10 आरक्षित सीटों में से सात पर जीत हासिल की है. राज्य में अनुसूचित जाति वर्ग की जनसंख्या लगभग 12 फीसदी है और इसमें से सतनामी वर्ग मैदानी क्षेत्रों में राजनीति को प्रभावित करते हैं. वर्ष 2013 के चुनाव में भाजपा को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 10 में से नौ सीटों पर जीत मिली थी. लेकिन इस चुनाव में केवल दो सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है. भाजपा ने मस्तुरी और मुंगेली सीट पर जीत हासिल की है, जबकि बहुजन समाज पार्टी एक सीट पामगढ़ से जीती है. राज्य में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों में नवागढ़ से सहकारिता मंत्री दयाल दास बघेल चुनाव हार गये हैं.

राज्य में इस वर्ष हुए चुनाव कांग्रेस ने 68 सीटों पर, भाजपा ने 15 सीटों पर, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने पांच सीटों पर तथा बहुजन समाज पार्टी ने दो सीटों पर जीत हासिल की है.

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