-मेजर की समझदारी और सूझ-बूझ को सलाम
नेशनल कंटेंट सेल
केरल में बाढ़ की विनाश लीला पूरी दुनिया ने देखी. हर ओर तबाही का मंजर था. लेकिन सुरक्षाकर्मियों के अथक प्रयास के बाद अब धीरे-धीरे जनजीवन पटरी पर आती दिख रही है. इस बीच सैनिकों की बहादुरी के कई तरह के किस्से लोगों के सामने आ रहे हैं. भारतीय सैनिक मेजर हेमंत राज की भी कहानी कुछ ऐसी है है. भले ही सेना के मेजर हेमंत राज छुट्टी पर थे, मगर केरल में बाढ़ से तबाही का मंजर देख उनके अंदर का सेवाभाव जग उठा.
कोच्चि की फ्लाइट कैंसिल होने पर तिरुवनंतपुरम की दूसरी फ्लाइट लेकर पहुंचे हेमंत राज ने रिटायर्ड सैनिकों, छात्रों और स्थानीय मछुआरों की टीम गठित कर जबर्दस्त तरीके से राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया. उनकी टीम ने केरल में सौ लोगों की जिंदगी बचायी. हेमंत राज सेना की 28 मद्रास सप्त शक्ति कमांड में मेजर हैं.
सेना से उन्होंने घर पर ओनम पर्व मनाने के लिए छुट्टी ली थी. 18 अगस्त को उनके अवकाश का पहला दिन था. उसी दिन वह तैनाती स्थल से दिल्ली पहुंचे, क्योंकि इंदिरा गांधी एयरपोर्ट से कोच्चि के लिए फ्लाइट थी. मगर पता चला कि केरल में भारी बारिश के कारण हालात खराब हैं. कोच्चि के लिए फ्लाइट कैंसिल हो गयी. प्लाइट कैंसिल होने पर मैने इंडिगो के अफसरों से कहा कि घर जाकर लोगों की मदद करना चाहता हूं, उन्होंने वर्दी की इज्जत करते हुए 19 अगस्त की फ्लाइट से तिरुवनंतपुरम जाने में मदद की.
रास्ते में बाढ़ से खराब हालात देख बदल लिया इरादा
मेजर ने बताया कि तिरुवनंतपुरम पहुंचने के बाद मेजर को बाढ़ से हालात बेहद खराब दिखे. जिस पर उन्होंने घर न जाकर चेंगन्नूर इलाके में पीड़ितों की मदद करने का फैसला लिया. उन्होंने टीम बनाकर राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया और दिन रात बाढ़ पीड़ितों की सेवा की.
35 लोगों की बनायी टीम
मेजर ने रिटायर्ड सेना के जवानों, छात्रों और मछुआरों को एकजुट किया और 35 लोगों की टीम बनाकर सुदूर इलाकों में बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद की. स्थानीय छात्रों ने लैपटॉप और कुछ मोबाइल फोन्स का इंतजाम किया, इसके बाद एक अस्थाई ऑपरेशन सेंटर स्थापित किया. मेजर ने कहा हमने उन जगहों का पता लगाना शुरू किया, जहां के लोगों को मदद की सबसे ज्यादा जरूरत थी. तीन दिनों के अंदर मेजर और उनकी टीम ने 10 टन खाना प्रतिदिन लोगों को बीच बांटा.