नयी दिल्ली : दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता शीला दीक्षित ने कहा है कि सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसी की हार या किसी की जीत नहीं है. यदि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लगता है कि यह फैसला उनकी जीत है, तो अब उन्हें काम करके दिखाना चाहिए. शीला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हीं बातों को दोहराया है, जो संविधान में हैं.
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श्रीमती दीक्षित ने कहा कि इसे केजरीवाल या आम आदमी पार्टी (आप) की जीत तब मानी जाती, जब उन्हें जमीन और कानून-व्यवस्था का भी अधिकार मिल जाता. कोर्ट ने ऐसा कोई अधिकार उन्हें नहीं दिया है. शीला दीक्षित ने कहा कि दिल्ली और अन्य राज्यों में बड़ा अंतर है. दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है. यह केंद्रशासित प्रदेश है. चुनी हुई सरकार को उपराज्यपाल के साथ तालमेल बिठाकर काम करना होगा.
उन्होंने कहा कि तालमेल से ही काम होता है. आखिरकार हम एक देश हैं. आपसी सहयोग से ही सब कुछ हासिल कर सकते हैं. लड़कर कुछ नहीं होगा. इससे अपना ही नुकसान होता है. दिल्ली की पूर्व सीएम ने कहा कि संविधान में इस बात की व्यवस्था है कि गवर्नर कैबिनेट के फैसले को मंजूर करेंगे,लेकिन दिल्ली का मामला थोड़ा अलग है. फिर भी, जो व्यवस्था है, उसी के तहत सबको काम करना होता है.
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वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि वह 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. इसी व्यवस्था में काम किया. दिल्ली का विकास किया. कभी कोई समस्या नहीं आयी. उन्होंने कहा कि यदि केजरीवाल को लगता है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन्हें सारे अधिकार देता है, तो अब उन्हें काम करके दिखाना चाहिए. साढ़े तीन साल में तो उन्होंने कुछ भी नहीं किया.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपने फैसले में बुधवार को कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल और सरकार को मिलकर काम करना चाहिए. उपराज्यपाल हर मामले में अड़ंगा न लगायें. इसे आम आदमी पार्टी अपनी बड़ी जीत और केंद्र सरकार की बड़ी हार बता रही है.