नयी दिल्ली : केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल ने बिहार और छत्तीसगढ में नक्सली हमलों में मारे गए अपने कर्मियों की जानकारी साझा करने से मना कर दिया है. उसने कहा कि वहां ‘‘मानवाधिकार उल्लंघन’’ का कोई मामला नहीं है. सूचना के अधिकार के तहत सिर्फ मानवाधिकारों के उल्लंघन और भ्रष्टाचार के मामलों से जुडी जानकारी देने के लिए ही बाध्य सीआरपीएफ ने कहा है कि मारे गए सीआरपीएफ जवानों की मौत की जानकारी का खुलासा करने के पीछे कोई जनहित नहीं है.
सीआरपीएफ ने एक सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में कहा, ‘‘वहां पर मानवाधिकार उल्लंघन का कोई मामला नहीं है. साथ ही साथ मामले से जुडे तथ्य भ्रष्टाचार के आरोपों की भी व्याख्या नहीं करते. उपर से इस जानकारी को साझा करने के लिए कोई जनहित भी दिखाई नहीं देता.’’ अपने सूचना पाने के अधिकार का प्रयोग करते हुए वेंकटेश नायक ने दो घटनाओं की जानकारी मांगी थी. पहली बिहार के मुंगेर में 10 अप्रैल को मारे गए दो जवान और दूसरी छत्तीसगढ के बस्तर में 12 अप्रैल को मारे गए 6 सीआरपीएफ जवानों की मौत से जुडी थी जिसमें बिहार और छत्तीसगढ में हुई अन्य जवानों की मौत भी शामिल है.
बिहार और छत्तीसगढ की इन दो घटनाओं की खुफिया सूचना की रिपोर्ट की प्रतिलिपियां भी आवेदक द्वारा मांगी गई थीं. सीआरपीएफ ने जवाब में कहा, ‘‘आपके द्वारा घटना से जुडी खुफिया रिपोर्ट मांगी गई है जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुडा विषय है जिसे सूचना कानून की धारा 8 (1)(ए)के तहत साझा करने से छूट प्राप्त है.’’