चेन्नई: द्रमुक अध्यक्ष एम करुणानिधि ने आज कहा कि अपने शपथ ग्रहण समारोह में नरेन्द्र मोदी का श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को दिया गया निमंत्रण दुनिया भर के तमिलों को ‘‘अस्वीकार्य और अवांछित’’ है और वे भाजपा से इस पहल से पीछे हटने की अपील करते हैं.करुणानिधि ने कहा, ‘‘केंद्र को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि जिस व्यक्ति ने लाखों तमिलों की हत्याएं की हैं , जातीय सफाए में शामिल रहा है और जिसने अपने लोगों के खिलाफ युद्ध चलाया , क्या उसे नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेना चाहिए.’’ उन्होंने साथ ही इस पहल को छोडने की भी अपील की.
द्रमुक और अन्नाद्रमुक सहित तमिलनाडु में राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया है कि श्रीलंकाई सेना और विद्रोही लिट्टे के बीच अंतिम दौर के युद्ध के दौरान सर्वाधिक तमिल नागरिक मारे गए और उस समय कमान राजपक्षे के हाथों में थी.श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे पर पिछले साल कांग्रेस से रिश्ते तोडने वाली द्रमुक पार्टी के मुखिया करुणानिधि ने कहा कि कांग्रेस ने श्रीलंका को एक मित्र राष्ट्र के तौर पर देखे जाने के खिलाफ तमिलनाडु के लोगों की बार बार की गयी अपीलों पर ध्यान नहीं दिया.
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की भारी पराजय का परोक्ष जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ हर किसी को इसके नतीजों का पता है. ’’ कांग्रेस ने तमिलनाडु में बिना किसी सहयोगी पार्टी के चुनाव लडा था.करुणानिधि ने कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि नई भाजपा सरकार शुरुआती चरण में ही तमिल समर्थक भावनाओं की सचाई का अहसास कर ले.’’ करुणानिधि और उनके पुत्र एम के स्टालिन ने मोदी और उनकी पार्टी को चुनाव में भारी जीत के लिए बधाई दी थी.
26 मई के मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में राजपक्षे की भागीदारी का विरोध करते हुए जारी किए गए मुख्यमंत्री जे जयललिता के बयान पर करुणानिधि ने कहा कि पूर्व में जयललिता ने लिट्टे प्रमुख वी प्रभाकरन के प्रत्यर्पण की मांग की थी और राज्य विधानसभा में इस संबंध में एक प्रस्ताव तक पारित किया था.