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बनारस को संगीत का केंद्र बनाये मोदी, कलाकारों ने की मांग

नयी दिल्ली : सरकारी प्रश्रय के अभाव में बनारस घराने की मौजूदा स्थिति से चिंतित कलाकारों ने अपने सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजारिश की है कि वे दुनिया को नामचीन फनकार देने वाले इस प्राचीन शहर को संगीत का बड़ा केंद्र बनायें ताकि शहर की सांस्कृतिक पहचान बरकरार रह सके. भारत रत्न शहनाई […]

नयी दिल्ली : सरकारी प्रश्रय के अभाव में बनारस घराने की मौजूदा स्थिति से चिंतित कलाकारों ने अपने सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजारिश की है कि वे दुनिया को नामचीन फनकार देने वाले इस प्राचीन शहर को संगीत का बड़ा केंद्र बनायें ताकि शहर की सांस्कृतिक पहचान बरकरार रह सके.

भारत रत्न शहनाई वादक बिस्मिल्लाह खान, सितार वादक पंडित रविशंकर और ठुमरी गायिका गिरिजा देवी जैसे कलाकार देने वाले बनारस में संगीत अकादमी के अभाव में बनारसी घराने से बडे कलाकार अब निकल नहीं पा रहे हैं. गिरिजा देवी, लोकसभा चुनाव में मोदी के प्रस्तावक रहे शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्रा और बिस्मिल्लाह खान के परिवार ने उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री इस दिशा में पहल करेंगे.

पद्मभूषण से नवाजी गई बनारस घराने की मशहूर शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी ने भाषा से कहा, मैं पिछले 50 साल से कह रही हूं कि बनारस में संगीत अकादमी बनाने के लिये मुझे जमीन दी जाये लेकिन मेरी बात किसी ने नहीं सुनी. यदि मुझे मदद मिलती तो मैं बनारस को संगीत का ऐसा केंद्र बनाती जिसे दुनिया देखने आती.

कोलकाता स्थित आईटीची संगीत रिसर्च अकादमी में संगीत की शिक्षा देने वाली इस 85 वर्षीय गायिका ने कहा, अभी भी मौका दें तो सब कुछ छोड़कर काशी आ जाऊंगी. अगर बनारस में अकादमी होती तो मैं कोलकाता जाती ही क्यों.

तीन साल पहले गुजरात सरकार का तानारिरी पुरस्कार पाने वाली इस गायिका को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी बनारस के संगीत और साहित्य पर भी ध्यान देंगे. उन्होंने कहा, मैं उनसे मिलना चाहूंगी और इस बारे में बात करुंगी.

पंडित मिश्रा ने भी उनके सुर में सुर मिलाते हुए बनारस में संगीत अकादमी खोलने की मांग की. पंडित मिश्रा ने कहा, हमें उम्मीद है कि मोदीजी बनारस के संगीत के लिये कुछ करेंगे. बनारस को ऐसी संगीत अकादमी की जरुरत है जहां बनारसी संगीत ठुमरी, दादरा, होरी, कजरी, चैती, ख्याल, दादरा वगैरह सिखाया जाये.

मिश्रा ने कहा कि आजीविका के फेर में कलाकार रियाज छोड़ देते हैं जिससे बनारस घराने की धरोहर आगे बढाने वाले कम ही बचे हैं. उन्होंने कहा, आजकल कलाकार स्कूल, कालेज में शास्त्रीय संगीत सीखते हैं और फिर नौकरी करने लग जाते हैं. रियाज वहीं छूट जाता है. बनारस का संगीत सीखने के लिये कोई संस्थान नहीं है.

बिस्मिल्लाह खान के पोते अफ्फाक हैदर का कहना है कि बनारस के स्थानीय कलाकारों को मंच दिलाने के लिये प्रयास जरुरी हैं. उन्होंने कहा, हम चाहते हैं कि मोदीजी बनारस की सांस्कृतिक पहचान बरकरार रखने के लिये कदम उठायें. बनारस में एक भव्य आडिटोरियम होना चाहिये जिसमें स्थानीय कलाकारों को मंच मिले. उन्हें दर ब दर भटकना ना पडे. बनारस ने मोदीजी को प्रचंड बहुमत से जिताया है और अब इस शहर को कुछ देने की उनकी बारी है.

बनारस की भातखंडे यूनिवर्सिटी से संगीत में तालीम लेने वाली लोक गायिका मालिनी अवस्थी का मानना है कि शहर में पहले की तरह सरकारी प्रश्रय से संगीत कार्यक्रमों का आयोजन होना चाहिये. मालिनी ने कहा, उत्तरप्रदेश में सरकारों ने शास्त्रीय और लोक संगीत के लिये कुछ नहीं किया जिससे कलाकारों को मंच नहीं मिल पाते. उन्हें प्रस्तुति के लिये दिल्ली, मुंबई या कोलकाता जाना पड़ता है. बनारस में विभिन्न मंदिरों पर या घाटों पर कार्यक्रम भी स्वयंसेवी कराते हैं.

उन्होंने कहा, बनारस में निरंतर संगीत आयोजन कराये जायें जिसमें शास्त्रीय और लोक परंपरा को समान सम्मान मिले. इसके अलावा शहर में गुरु शिष्य परंपरा पर आधारित एक संगीत रिसर्च अकादमी खोलनी चाहिये जिसमें बनारस के कलाकारों की सारी रिकार्डिंग और डाक्यूमेंटरी उपलब्ध हो.

उन्होंने उम्मीद जताई कि मोदी बनारस के साहित्य और संगीत की धरोहरों को सहेजने का प्रयास करेंगे. उन्होंने कहा, उन्होंने अपना प्रस्तावक ही एक कलाकार को बनाया था लिहाजा उनसे उम्मीद बंधी है कि वे बनारसी साहित्य और संगीत को सहेजने का बीडा उठायेंगे.

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