चेन्नई : तमिलनाडु के तूतीकोरिन में उग्र प्रदर्शन और पुलिस गोलीबारी में 13 लोगों के मारे जाने का मामला मंगलवार को राज्य विधानसभा में जोर शोर से उठा और मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई ‘अपरिहार्य’ थी. विपक्षी द्रमुक ने इस मुद्दे पर सदन से बहिर्गमन किया. तूतीकोरिन में 22 मई की घटना के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ आंसू गैस के गोले तथा लाठी चार्ज जैसे कदम उठाये गये.
उन्होंने पुलिस की गोलीबारी पर सदन के पटल पर पेश एक रिपोर्ट में कहा, ‘अपरिहार्य परिस्थितियों में पुलिस बल को कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ा.’ उन्होंने तूतीकोरिन की जनता से किसी के बहकावे में नहीं आने और शांति बनाये रखने में सहयोग करने की अपील की.
प्रश्नकाल के तत्काल बाद विपक्ष के नेता एम के स्टालिन ने तूतीकोरिन में तांबा संयंत्र बंद करने के लिए कैबिनेट की बैठक बुलाने और नीतिगत निर्णय लेने की बजाए सरकारी आदेश जारी करने के लिए राज्य सरकार पर निशाना साधा. द्रमुक नेता ने सरकारी आदेश जारी करने को आंखों में धूल झोंकने वाला करार दिया जो स्टरलाइट प्रबंधन को इस संबंध में अदालत की शरण में जाने का मौका देता है.
उन्होंने कहा कि यह कदम 2013 में उठाये गये कदम के ही समान है. स्टालिन ने कल कहा था कि 2013 में इसी प्रकार के बंद नोटिस के बाद संयंत्र दोबारा खोला गया था. उन्होंने सरकार पर लोगों से बातचीत नहीं करने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री पलानीस्वामी के इस्तीफे की मांग की और कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा की कार्यवाही का तब तक बहिष्कार करेगी जब तक कि संयंत्र को स्थाई तौर पर बंद नहीं कर दिया जाता.
बाद में उनकी अगुवाई में पार्टी के विधायकों ने सदन से बहिर्गमन किया. द्रमुक सदस्य विरोधस्वरूप काले कपड़े पहने हुए थे. इस बीच, मुख्यमंत्री ने 13 लोगों की मौत पर दुख व्यक्त किया और पांच पेज की रिपोर्ट पेश की जिसमें हिंसा की घटना और इस संबंध में सरकार की ओर से उठाये गये कदमों का विस्तृत विवरण था.
कांग्रेस नेता के रामासामी ने कहा कि मामले की जांच ठीक ढंग से की जानी चाहिए अथवा इसे सीबीआई को सौंप दिया जाना चाहिए. उन्होंने इस संबंध में सभी मामलों को बिना शर्त वापस लेने की भी मांग की.