बेंगलुरु: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को दुनिया के ‘प्रतिक्रियावादी’ नेता करार दिया. उन्होंने कहा कि बेरोजगारी से नाराज युवा इन दोनों नेताओं को सत्ता में लेकर आये थे.
राहुल ने यह भी कहा कि भाजपा और आरएसएस का सिक्का इसलिए नहीं चल रहा है क्योंकि भारतीय युवा नाराज है, क्योंकि व्यवस्था उन्हें नौकरियां देने में सक्षम नहीं है. उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘भारतीय व्यवस्था मूलत: उन्हें नौकरियां देने में सक्षम नहीं है, क्योंकि हम, चीन से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं. पाश्चात्य जगत के लिए ब्लू कॉलर जॉब के मामले में चीन से प्रतिस्पर्धा करना असंभव है.’ उन्होंने कहा कि उनका आशय है कि हर पश्चिमी देश में ऐसे लाखों लोग हैं जिन्हें वे रोजगार नहीं दे सकते और इन लोगों ने ट्रंप जैसे ‘प्रतिक्रियावादी नेताओं के लिए मतदान किया.’ उन्होंने कहा, ‘इन लोगों ने मिस्टर मोदी के लिए मतदान किया.’ उन्होंने कहा, ‘जब तक भारत रोजगार की समस्या का समाधान नहीं करता है और चीन के साथ प्रभावी तरीके से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं होता तब तक समाज में यह गुस्सा रहेगा.’
उन्होंने सभा में कहा कि भारत चीन से प्रतिस्पर्धा करने में अक्षम है, क्योंकि रोजगार सृजन का पूरा ध्यान 10 या 15 लोगों पर केंद्रित है. उन्होंने कहा, ‘अगर एनपीए (वसूल नहीं किया जा सकनेवाला कर्ज) को देखें और उसका विश्लेषण करें कि कौन 10 लाख करोड़ रुपये पाता है, तो आप पायेंगे मूलत: ऐसे 10 या 15 लोग हैं.’ उन्होंने कहा कि छोटे या मझोले व्यापार को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए क्योंकि उनसे अधिक नौकरियों का सृजन होगा. राहुल ने कहा, ‘आगे का रास्ता यह है कि राजनीति की पहुंच छोटे और मझोले कारोबार तक सुलभ बनायी जाये, संसद, विधानसभाओं को काम करने दिया जाये.’ उन्होंने कहा, ‘आज संसद में क्या हुआ है. संसद की शक्ति पर पीएमओ और पांच या छह नौकरशाहों ने कब्जा कर लिया है. आपको फिर से संसद को शक्ति देनी होगी.’ उन्होंने देशभर में उदार, धर्मनिरपेक्ष और गणतांत्रिक मूल्यों के प्रसार के लिए ‘समृद्ध भारत फाउंडेशन’ नाम के एक मंच को शुरू करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही. इसके न्यासियों में जाने-माने फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल और उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता केटीएस तुलसी भी शामिल हैं.